देश में कोरोना संक्रमण के सोमवार को आए साढे तीन लाख से ज्यादा नए केस और 28 सौ से ज्यादा मौत के आंकड़े खुद बता रहे हैं कि कोविड-19 को लेकर स्थिति कितनी भयावह हो चुकी है। आज अधिकतर राज्यों के कोरोना अस्पतालों में मरीजों के बेड फुल हो चुके हैं। नए कोरोना मरीजों की भर्ती लेने में परिजनों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि, दूसरी तरफ ऑक्सीजन की कमी के चलते घरों से लेकर अस्पतालों तक मरीज दम तोड़ रहे हैं। हालांकि, अब सरकार की तरफ से ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करने को लेकर कई कदम उठाए गए हैं।

देश के आठ राज्यों में कोरोना को लेकर स्थिति वाकई काफी बदतर है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान बताया कि जिन राज्यों में एक लाख से ज्यादा कोविड-19 के एक्टिव केस हैं, वो राज्य हैं- महाराष्ट्र, यूपी, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात और तमिलनाडु। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि हालांकि इस बीच तेजी के साथ लोगों को वैक्सीनेशन किया जा रहा है। अब तक 14 करोड़ 19 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सरकार ने कहा कि रिसर्च से पता चला है कि अगर सामाजिक दूरी का अनुपालन नहीं किया गया तो एक व्यक्ति 30 दिनों में 406 लोगों को संक्रमित कर सकता है। सरकार ने कोविड-19 मरीजों द्वारा जीवन रक्षक गैस की कमी का सामना करने के बीच कहा कि भारत के पास पर्याप्त मेडिकल ऑक्सीजन उपलब्ध है, चुनौती उन्हें अस्पतालों तक पहुंचाने की है।

एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि लोगों में बेवजह डर का माहौल है। उन्होंने कहा कि हमें कोरोना के नए केस को कम करना होगा और अस्पताल के संसाधनों को अधिकतम इस्तेमाल करना होगा। ऑक्सीजन का न्यायोचितपूर्ण इस्तेमाल बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि कई लोग भय के कारण अस्पताल के बिस्तरों पर कब्जा जमाए पाए गए हैं, कृपया कर डॉक्टर की सलाह पर भर्ती हो। कोविड-19 की मौजूदा स्थिति से लोग घबराएं नहीं, बेवजह की घबराहट से फायदे के बजाय नुकसान अधिक होता है।

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