ग्वालियर। मध्यप्रदेश का चंबल संभाग का भिण्ड जिला जो कभी डकैतों के नाम से बदनाम था, वह इस कलंक को अभी पूरी तरह मिटा भी नहीं पाया था कि अब भिण्ड पर देश के सबसे गंदे शहर का बदनुमा दाग और लग गया है।
केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने प्रेस इन्फोरमेंशन ब्यूरो ( पीआईबी) से सर्वे कराया था। जिसमें देश के 476 एक लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों में मध्यप्रदेश के भिण्ड और दमोह सबसे गंदे शहर निकले है।
प्रदेश में पिछले 12 सालों से भाजपा की सरकार है। वर्ष 2007 से भिण्ड नगरपालिका पर भाजपा का कब्जा है। इसके बाद भी पीआईबी की रिपोर्ट ने भाजपा को आईना दिखा दिया है। भ्रष्टाचार ने शहर को गंदा होने का प्रमाण-पत्र आखिरकार दे ही दिया।
भिण्ड नगरपालिका की अध्यक्षा श्रीमती कलावती मिहोलिया का कहना है कि शहर का सीवेज व ड्रेनेज सिस्टम 60 साल पुराना है जो अब पूरी तरह फेल है। नगरपालिका का नया सीवेज ड्रेनेज प्रोजेक्ट सरकार के पास लंबित है जिसे आगामी 6 माह में मंजूरी मिलने की उम्मीद है। कचरा फेंकने के लिए अभी कोई स्थान निश्चिित नहीं होने से कहीं भी फेंकने की व्यवस्था को सुधारने के लिए शहर से दूर रछेडी गांव के पास जल्द ही टेªचिंग ग्राउण्ड शुरु किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सर्वे में भिण्ड के ऊपर जो गंदगी का दाग लगा है निश्चित ही शर्मनाक है। उनकी कोशिश रहेगी इस दाग को मिटाया जाए।
कांग्रेस के नेता डॉं. राधेश्याम शर्मा ने कहा कि 35 हजार की आबादी की जरुरत के अनुसार पुराना सीवेज सिस्टम बनाया गया था शहर में जल निकासी नहीं है 15 साल से नए सीवेज की फायल लटकी है। जिले का पोलिटिकल बिल पावर कमजोर है। लोगों में सिविल सेंस का अभाव है।