जबलपुर ! मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बालाघाट के लांजी क्षेत्र में पुलिस पार्टी पर हुए हमले के मामले में एक युवक को नक्सली बताकर गिरफ्तार करने और उसकी जमानत पर सुनवाई के दौरान केस डायरी पेश न करने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। जस्टिस एनके गुप्ता की एकलपीठ ने मामले में बालाघाट एसपी को शोकॉज नोटिस जारी करके पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाये। एकलपीठ ने मामले में एसपी को तलब करते हुये मामले की सुनवाई 13 अगस्त को नियत की है।
न्यायालय ने उक्त निर्देश बालाघाट जिले के लांजी थानांतर्गत ग्राम चौरिया में रहने वाले वीरसिंह गौड़ की जमानत अर्जी पर दिये है। जिसमें वीरसिंह व अन्य के खिलाफ बहेला थाने में हत्या और विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज है। प्रकरण के अनुसार 22 सितंबर 2010 को पुलिस चौकी सुलसुली के आरक्षक कमलेश और हरीशचंद्र मोटरसाईकिल से टिमकीटोला के घने जंगल की ओर से जा रहे थे, तभी रास्ते में घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने उन पर हमला किया। उक्त हमले में आरक्षक कमलेश घायल हुआ, जबकि हरीशचंद्र की मौत हो गई थी। नक्सली हरीशचंद्र की रायफल लेकर फरार हो गये थे।
पुलिस ने इस हमले में वीरसिंह को नक्सली दल का सदस्य पाते हुए 9 जुलाई 2014 को गिरफ्तार किया था। इस मामले में जमानत का लाभ पाने यह अर्जी हाईकोर्ट में दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने 8 जुलाई को बहेला थाने के टीआई को मामले की केस डायरी के साथ तलब किया था। उक्त मामले में न तो केस डायरी पेश की गई और न ही टीआई के अनुपस्थित होने का कोई कारण बताया गया। जिस पर न्यायालय ने जमकर नाराजगी व्यक्त करते हुए आरोपी को जमानत का लाभ देते हुए एसपी के खिलाफ शोकॉज नोटिस जारी कर उपस्थित होने के निर्देश दिये है।

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