रामेश्वरम (तमिलनाडु) | देश के पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के पार्थिव शरीर को यहां गुरुवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया गया। देश के मिसाइल अभियानों को मजबूती देनेवाले व वर्ष 1998 में किए गए परमाणु परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले देश के महान सपूत की अंतिम यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई गण्यमान्य नेता शरीक हुए। तिरंगे में लिपटा कलाम के पार्थिव शरीर को फूलों से सजी विशेष बग्घी में सेना की तीनों शाखाओं की अगुवाई में अंत्येष्टि स्थल पेई करुं बु लाया गया। भारतरत्न के अंतिम दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। लोग कलाम की एक झलक पाने के लिए इमारतों पर चढ़े हुए थे।
सशस्त्र बलों के पूर्व सर्वोच्च कमांडर कलाम को बंदूकों की सलामी दी गई और सेना के बैंड ने ‘लास्ट पोस्ट’ धुन बजाई।
कलाम के पार्थिव शरीर को कब्र में रखे जाने से पहले और बाद में नमाज अदा की गई और इसके बाद कब्र पर मिट्टी डाली गई तथा श्रद्धा-सुमन अर्पित किए गए।
कलाम का शिलांग में सोमवार को भारतीय प्रबंधन संस्थान में एक व्याख्यान देते वक्त दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां चिकित्सकों ने उनका निधन हो जाने की घोषणा की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार सुबह यहां पहुंचे और उन्होंने कलाम को एक बार फिर भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
प्रधानमंत्री मोदी डॉ. कलाम के 99 वर्षीय बड़े भाई मोहम्मद मुथु मीरन लेब्बई मरईकयार से मिले और उन्हें सांत्वना दी।
तमिलनाडु के राज्यपाल के. रोसैया, केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू, मनोहर पर्रिकर और पोन राधाकृष्णन, तमिलनाडु सरकार के मंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम, नाथम आर. विश्वनाथन, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी पार्टी के अन्य नेताओं ने भी डॉ. कलाम को अंतिम विदाई दी।
इस मौके पर केरल के राज्यपाल पी. सतशिवम, केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी के अलावा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू व कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी मौजूद रहे।
इससे पूर्व डॉ. कलाम के पार्थिव शरीर को नमाज-ए-जनाजा के लिए उनके पारिवारिक मस्जिद में ले जाया गया। उनके परिजन भी वहां पहुंचे।
‘मिसाइल मैन’ के बड़े भाई के पोते एपीजेएमके शेख सलीम ने आईएएनएस को बताया, “हमारे भी सभी रिश्तेदार अंतिम यात्रा में शामिल होने पहुंच गए हैं।”
तमिलनाडु सरकार ने कलाम के सम्मान में गुरुवार को राज्य के बैंकों, जीवन बीमा कंपनियों, स्कूलों और कॉलजों में सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया।
कलाम के सम्मान में यहां करीब 30,000 आभूषण की दुकानें भी बंद रहेंगी। सिनेमाघर मालिकों ने भी बंद का निर्णय लिया है। मछुआरों ने भी गुरुवार को समुद्र में नहीं उतने का फैसला किया।
निजी क्षेत्रों ने बंद का फैसला स्वत: लिया है, जिससे स्पष्ट है कि कलाम वास्तव में ‘जनता के राष्ट्रपति’ थे।
द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) जैसे राजनीतिक दलों ने भी अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं।
कलाम का जन्म रामेश्वरम के एक तमिल मुस्लिम परिवार में 15 अक्टूबर 1931 को में हुआ था। उनके पिता मछुआरे थे और मां गृहिणी। उनका बचपन बेहद गरीबी में बीता। वह रामेश्वरम के प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे और घर चलाने के लिए अखबार बांटते थे।
उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास से 1954 में भौतिकी में एरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। 1958 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से ग्रेजुएशन के बाद डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) पहुंचे।
1962 में इंडियन स्पेस ऑर्गनाइजेशन (इसरो) पहुंचे और फिर शुरू हुआ कलाम के कमाल का सिलसिला। 1980 में पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएलवी-3) रोहणी सैटेलाइट अतरिक्ष में सफलतापूर्वक लांच हुआ। रक्षा के क्षेत्र में कलाम ने कमाल ही कमाल किया।
डॉ. कलाम ने ‘इंटीग्रेडेट गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम’ की शुरुआत की और त्रिशूल, पृथ्वी, आकाश, नाग, अग्नि जैसे मिसाइल देश को दिए, वहीं रूस के साथ मिलकर ब्रम्होस मिसाइल बनाई। वर्ष 1998 में अब्दुल कलाम की ही देखरेख में पोखरण में दूसरा सफल परमाणु परीक्षण हुआ।
वर्ष 1981 में पद्मभूषण, 1990 में पद्मविभूषण और 1997 में सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारतरत्न से सम्मानित कलाम 25 जुलाई 2002 को देश के 11वें राष्ट्रपति बने।
संगीत में भी उनकी बेहद रुचि थी। वह वीणा बजाते थे। युवाओं के लिए आदर्श और प्रेरणा के स्रोत एपीजे अब्दुल कलाम आजीवन अविवाहित रहे। वह कुरान और भगवत् गीता, दोनों पढ़ते थे और शाकाहारी भोजन करते थे। वह अपने आप में देश की अद्वितीय हस्ती थे।

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