ग्वालियर। मध्यप्रदेश के भिण्ड शहर के सदर बाजार निवासी मुकेश जैन के साथ 16 वर्ष पूर्व दुर्भावना पूर्ण तरीके से की गई एनएसए की कार्यवाही के चलते भिण्ड जेएमएफसी न्यायालय शरद जायसवाल की कोर्ट ने भिण्ड के तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पंकज श्रीवास्तव और तत्कालीन सिटी कोतवाली के थाना प्रभारी के आर सिजोरिया के संज्ञान लेते हुए तीनों ही आरोपियों के विरुद्ध आपराधिक षडयंत्र रचकर विधि की अवज्ञा के साथ साथ मानहानि का मुकदमा दर्ज करते हुए समंस जारी करने के आदेश दिए हैं।
विदित हो कि शहर में 16 वर्ष पूर्व दुर्भावना पूर्ण तरीके से मुकेश जैन के विरूद्ध एनएसए की कार्यवाही करने वाले तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह वर्तमान में भोपाल शहरी विकास मंत्रालय में सचिव है तो तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पंकज श्रीवास्तव वर्तमान में नई दिल्ली में सीबीआई में ज्वाइंट डायरेक्टर के पद पर पदस्थ है। और तत्कालीन सिटी कोतवाली के थाना प्रभारी के आर सीजोरिया सेवानिवृत्त हो चुके है।
भिण्ड जेएमएफसी न्यायालय शरद जायसवाल ने अपने आदेश में कहा है कि परिवादी मुकेश जैन द्वारा पेश दस्तावेज को न्यायालयीन साक्ष्य से यह प्रथम रूप में यह दर्शित होता है कि तीनों ही आरोपियों द्वारा मुकेश जैन के विरूद्ध एनएसए की कार्यवाही दुर्भावना पूर्ण तरीके से की गई थी। इस लिए अनावेदक मनीष सिंह , पंकज श्रीवास्तव और के आर सिजोरीया के विरूद्ध आईपीसी की धारा 120बी, 166,167,500 और मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के तहत संज्ञान लेते हुए परिवाद को पंजीबद्ध कर दिया। न्यायालय ने तीनों ही आरोपियों की कोर्ट में उपस्थिति के लिए 15 मार्च पेशी नियत की है। यहां यह भी विदित है कि उक्त मामले की सुनवाई हेतु परवादी मुकेश जैन ने स्वयं ही की पैरवी की ओर 16 वर्ष न्याय की उम्मीद में अपनी लड़ाई लड़ते रहे।
वर्ष 2005 में पंचायत चुनावों में जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा मुकेश जैन को प्रेस रिपोर्टर के रूप में नियुक्त किया गया था और 19 जनवरी को मुकेश जैन ने जब चुनाव में बूथ केपचरिंग की फोटो समाचार पत्र में प्रकाशित की गई तो उससे कुपित होकर भिण्ड के तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पंकज श्रीवास्तव और तत्कालीन सिटी कोतवाली थाना प्रभारी के आर सीजोरीया ने आपराधिक षडयंत्र रचकर मुकेश जैन के विरूद्ध अशुद्ध दस्तावेज तैयार कर और झूठे प्रकरण दर्ज करते हुए 25 जनवरी 2005 को एनएसए के तहत कार्रवाई करते हुए 27 जनवरी को महज दो दिन में सभी कार्यवाही कर निरोधादेश पारित करते हुए जिला ग्वालियर केंद्रीय कारागार में भेज दिया। जिसकी सुनवाई उच्च न्यायालय जबलपुर की सलाहकार समिति ने निरस्त किया गया और मुकेश जैन की 21 मार्च को रिहाई हो सकी। दो माह तक मुकेश जैन को तीनों ही आरोपियों के द्वारा की गई विधि विरूद्ध कार्यवाही के चलते जेल में रहना पड़ा।
एडवोकेट मुकेश जैन ने बताया कि तीनों ही आरोपियों द्वारा एनएसए की कार्यवाही करने के बाद उनके द्वारा काफी शिकायत की गई तो अधिकारियों द्वारा उन्हीं आधारो पर फिर से एनएसए की कार्यवाही शुरू कर दी जिसे भी मुकेश जैन ने उच्च न्यायालय से युक्त कार्यवाही को समाप्त करवाया । वर्ष 2009 में मुकेश जैन ने तीनों ही आरोपियों के खिलाफ भिण्ड न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया जिसमें वह पांच वर्ष तक परिवाद के क्षेत्राधिकार में उलझे रहे 2014 में जेएमएफसी न्यायालय ने तीनों ही आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया, लेकिन पूर्व के आदेश में आईपीसी की धारा का उल्लेख न होने से परिवाद का आदेश 2016 में निरस्त कर दिया गया था। जिसे जेएमएफसी न्यायालय भिण्ड शरद जायसवाल की कोर्ट में आईपीसी की धारा के तहत परिवाद दर्ज करते हुए आरोपियों को 15 मार्च को न्यायालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।