भोपाल !   राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहनराव भागवत ने कहा कि समाज को अंदर से बदलना चाहिए, जंगल का शेर सर्कस में जाकर बकरी के साथ खाता है, तालियां तो खूब बजती हैं, मगर लोग उसे अच्छा नहीं मानते, शेर को तो जंगल में ही रहना चाहिए, उसे दहाड़ना ही चाहिए। शेर का शेर होना ही उसकी उपलब्धि है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के समन्वय भवन में गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा द्वारा लिखित पुस्तक ‘परितप्त लंकेश्वरी’ के लोकार्पण समारोह में शनिवार को भागवत ने समाज में अंदर से बदलाव की बात कही। उन्होंने कहा, “भारत को विश्व का सिरमौर बनना है, तो उसे भारतीयता को बनाए रखना होगा। अपनी जमीन पर पैर रखे हुए, समाज को बदलना होगा।”
उन्होंने कहा, “समाज को महिलाओं और कमजोर वर्ग के प्रति अनुचित व्यवहार की प्रथाओं और परंपराओं को फेंकना होगा। सीता के साथ ही तारा और मंदोदरी को भी समझना होगा। भारतीय महिला तेजस्वी और वात्सल्य से परिपूर्ण हैं। उसका वात्सल्य केवल मोह नहीं है वह सद्मार्ग का दिग्दर्शन भी कराती है। मंदोदरी का पात्र ऐसा ही है। मंदोदरी के प्रयास भले ही असफल रहे किंतु वह असफल नहीं थी।”
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि ‘परितप्त लंकेश्वरी’ में मंदोदरी के मनोभावों का अद्वितीय प्रगटीकरण है। मंदोदरी ने तामसी वैभव में रहते हुए सात्विकता को कायम रखने का प्रयास किया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उपन्यास समाज के लिए प्रकाश स्तम्भ का कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि उपन्यास में लेखिका ने मंदोदरी को कुशल चितेरे की तरह मनोभावों से भरा है।
उपन्यास की लेखक और गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहा कि मंदोदरी के पात्र के माध्यम से भारतीय समाज को प्रकाश दिखाने का प्रयास यह उपन्यास है। समाज जिसके पति की हजारों प्रतिमाओं का हर वर्ष दहन करता है उसकी पत्नी को प्रात: स्मरणीय पांच महिलाओं में शामिल भी करता है। आधुनिक भारतीय महिला को सीता, सावित्री और मंदोदरी जैसे पात्रों के माध्यम से संबल प्रदान करने का यह उनका प्रयास है। आभार प्रदर्शन प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार ने किया।

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