भिण्ड। गणाचार्य विराग सागर महाराज के आशीर्वाद एवं मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज, श्रमण मुनि विश्व सूर्य सागर महाराज, ऐलक विनियोग सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में श्री 1008 आदिनाथ दिगम्बर जैन कुआं वाले मंदिर में 28 जनवरी से 5 फरवरी तक अकोढ़ा परिवार द्वारा श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन प्रतिष्ठाचार्य पं. संदीप शास्त्री के निर्देशन में आज प्रातः काल भगवान का जिनाभिषेक, शांतिधारा पूजन एवं हवन का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज ने कहा कि वर्तमान की चकाचैंध और मोलिकता की दौड़ में मन की शुद्धि करने का यह विधान एक उपाय है जिससे आत्मा सीधे परमात्मा से जोड़ सकती है आत्मा की निर्मलता और मन शुद्धि का श्रेष्ठ उपाय है। जैन दर्शन में सिद्धचक्र महामंडल विधान की अधिक महिमा है यह ऐसा अनुष्ठान है जो हमारे जीवन के समस्त पाप ताप और संताप को नष्ट करता है। पुराणों के अनुसार मैना सुन्दरी ने सिद्धचक्र महामंडल विधान के आयोजन से कुष्ठ रोग से पीड़ित अपने पति श्रीपाल को कामदेव बना दिया था।
विधान केे समापन पर निकली पालकी शोभायात्रा
मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में श्री 1008 आदिनाथ दिगम्बर जैन कुआं वाले मंदिर में 28 जनवरी से 5 फरवरी तक अकोढ़ा परिवार द्वारा श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान के समापन के अवसर पर भगवान आदिनाथ की पालकी शोभायात्रा बैंड बाजों के साथ नगर भ्रमण पर निकली जिसमें महिला पूरूष बच्चे बढ़ी संख्या में भक्ति नृत्य करते हुये चल रहे थे जगह जगह भगवान की आरती श्रद्धालूओं द्वारा की जा रही शाोभायात्रा पेच न.ं 2 से प्रारंभ होकर महावीर गंज का भ्रमण करते हुये पेच नं.2 पहुॅची वहां पर भगवान का अभिषेक पूजन शांतिधारा का आयोजन किया गया।
मेडिटेशन गुरू विहंसत सागर महाराज का रानी बिरगवां के लिये हुआ विहार
गणाचार्य विराग सागर महाराज के परम् शिष्य मेडिटेशन गुरू मुनिराज विहसंत सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में श्री 1008 मुनिसुव्रत भगवान का रानी बिरगवां में 6 फरवरी को प्रातः काल 10 बजे से होने जा रहा है जिसमें मुनिराज विहसंत सागर महाराज का शुक्रवार की दोपहर 3 बजे रानी बिरगवां के लिये विहार हुआ।