भोपाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कोरोना के कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है परन्तु प्रदेश में कला और कलाकारों को पूरा संरक्षण दिया जाएगा तथा इनका निरंतर संवर्धन किया जाएगा। प्राकृतिक संपदा से भरपूर म.प्र. कला और संस्कृति का खजाना है। प्रदेश की जनजातीय कला एवं संस्कृति हमारी अमूल्य धरोहर है। जनजातीय कला के ‘लोकरंग’ जैसे आयोजनों के लिए संस्कृति विभाग बधाई का पात्र है।

मुख्यमंत्रीचौहान ने आज रवीन्द्र भवन में गणतंत्र दिवस के अवसर पर जनजातीय और लोक कलाओं के छत्तीसवें राष्ट्रीय समारोह का शुभारंभ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृति मंत्री श्रीमती उषा ठाकुर ने की। प्रमुख सचिव संस्कृतिशिवशेखर शुक्ला ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्यमंत्रीचौहान ने बेटी पूजन एवं दीप प्रज्वलन किया।

बहुत दिनों बाद लोकरंग के रंग बिखर रहे हैं

मुख्यमंत्रीचौहान ने कहा कि यह हमारे दूरदर्शी प्रधानमंत्रीनरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व का ही परिणाम है कि हम आज कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण कर विभिन्न आयोजन कर पा रहे हैं। बहुत दिनों बाद लोकरंग के रंग बिखर रहे हैं। हम अपने कोरोना वारियर्स को शत-शत नमन करते हैं, जिनके कारण आज हम उत्सव व आयोजन कर पा रहे हैं।

बुंदेली लोकनृत्य ‘बोध’ का आनंद लिया

मुख्यमंत्रीचौहान ने दर्शकों के बीच बैठकर बुंदेली लोकनृत्य ‘बोध’ का आनंद लिया तथा कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। बुंदेली संस्कृति को उसके संपूर्ण रंगों के साथ प्रदर्शित करने वाली इस प्रस्तुति ने सभी को अभिभूत कर दिया।

पर्यटन के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा

संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्रीमती उषा ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्रीचौहान के नेतृत्व में म.प्र. पर्यटन एवं संस्कृति के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है। प्रदेश में आध्यात्मिक पर्यटन, होम स्टे, रूरल एवं एग्रो स्टे जैसे नवाचार किए जा रहे हैं।

‘प्रणति प्रदर्शनी’ का अवलोकन किया

मुख्यमंत्रीचौहान ने कार्यक्रम स्थल पर लगाई गई जनजातीय कला प्रदर्शनी ‘प्रणति’ का अवलोकन किया तथा प्रदर्शित कलाकृतियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। प्रदर्शनी में प्रसिद्ध जनजातीय कलाकार स्व. पेमा फत्या और गौण चित्रकार स्व. कला बाई की कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया। जनजातीय प्रदर्शनी में जनजातीय अनुष्ठानों, जनजातीय जीवन, खेत-खलिहान, विवाह रस्मों, धार्मिक आयोजनों, नर्मदा उद्गम आदि का बखूबी से चित्रण किया गया है।

परेड एवं झांकियों को पुरस्कृत किया

मुख्यमंत्रीचौहान ने गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली परेड एवं झांकियों को राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान किए। परेड के लिए प्रथम पुरस्कार हॉक फोर्स को, द्वितीय पुरस्कार म.प्र. विशेष सशस्त्र बल को तथा तृतीय पुरस्कार जेल विभाग को प्रदान किया गया। झांकी प्रदर्शन के लिए प्रथम पुरस्कार जनजातीय कार्य विभाग को, दूसरा पुरस्कार पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय को तथा तीसरा पुरस्कार सामाजिक न्याय विभाग की झांकी को प्रदान किया गया।

पद्मश्री भूरी बाई व जनजातीय कलाकार अर्जुन बाघमारे सम्मानित

मुख्यमंत्रीचौहान ने मध्यप्रदेश की प्रसिद्ध भीली चित्रकार भूरी बाई को सम्मानित किया, जिन्हें आज पद्मश्री पुरस्कार मिला है।चौहान ने ठाठ्या जनजातीय नृत्य कलाकारअर्जुन बाघमारे को भी सम्मानित किया।

आगामी कार्यक्रम

लोकरंग के अंतर्गत बुधवार 27 जनवरी को लोकराग में पश्चिम बंगाल का बाउल गायन और मध्यप्रदेश का बुन्देली गायन होगा। भीली कलाओं आधारित समवेत नृत्य की प्रस्तुती होगी। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल, राजस्थान और कर्नाटक राज्यों के जनजातीय तथा लोकनृत्य होगें। गुरूवार 28 जनवरी को लोकराग अंतर्गत बिहार का भोजपुरी गायन और मध्यप्रदेश का मालवी गायन होगा। धरोहर अंतर्गत मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल, राजस्थान एवं कर्नाटक राज्यों के जनजातीय और लोकनृत्य प्रस्तुत किये जायेगे। देशान्तर अंतर्गत ईरान के नृत्य की प्रस्तुती होगी। बुधवार 29 जनवरी को लोकराग अन्तर्गत कश्मीर प्रान्त का कश्मीरी गायन और मध्यप्रदेश का निमाड़ी गायन होगा। धरोहर अंतर्गत मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल, राजस्थान, और कर्नाटक राज्यों के जनजातीय और लोकनृत्य प्रस्तुत किये जायेगे। शनिवार 30 जनवरी को सायं 7 बजे से ख्यात सूफी गायिका रूहानी सिस्टर्स का गायन ‘पीर पराई जाने रे’ होगा।

फिल्म, प्रदर्शनी, देशी व्यंजन, पारंपरिक शिल्प

लोकरंग में 27 से 29 जनवरी तक दोपहर 2 बजे से बच्चों की फिल्म ‘उल्लास’ प्रदर्शित की जाएगी। प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से आयोजित शिल्पमेला में विविध माध्यमों के शिल्पों का प्रदर्शन और विक्रय किया जाएगा। भील एवं गोण्ड जनजातीय वरिष्ठ चित्रकार स्वर्गीय पेमा फत्या एएवं स्व. कलाबाई श्याम के चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई है। पारम्परिक शिल्पों का प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित होगा। देशज व्यंजनों का स्वाद लिया जा सकेगा। संस्कृति, कला और साहित्य आधारित पुस्तकें उपलब्ध रहेगी।
 

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