भोपाल। अंगद के पैर की तरह एक ही थानों में चार साल से ज्यादा से जमे आरक्षक से लेकर उपनिरीक्षकों को अब हटाया जाएगा। इतना ही नहीं इनकी उसी पद पर उसी थाने में दोबारा पदस्थापना नहीं हो सकेगी। इस संबंध में पुलिस मुख्यालय ने इंदौर, भोपाल डीआईजी सहित सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को आदेश दिए हैं। इस मामले में पुलिस मुख्यालय ने जिलों से जानकारी भी तलब की है।  

दरअसल प्रदेश के कई जिलों में पुलिस अधीक्षक के चहेते आरक्षक से लेकर उपनिरीक्षक एक ही थाने में लंबे समय तक पदस्थ रहते हैं। इस संबंध में पुलिस मुख्यालय को लगातार शिकायतें मिल रही थी कि आरक्षक से लेकर उपनिरीक्षक स्तर तक के जवान और अफसर पांच से ज्यादा सालों से एक ही थाने में पदस्थ हैं। उनका तबादला दूसरे थाने में नहीं किया जा रहा है।

ऐसी शिकायतों के बाद पुलिस मुख्यालय ने आदेश जारी किया है कि चार साल के लिए एक थाने में पदस्थापना होना चाहिए और अधिकतम पांच साल से अधिक एक ही थाने में कोई पदस्थ न रहे। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाए कि जिस  थाने में संबंधित चार या पांच साल पदस्थ रहा हो, उसे फिर से उसी थाने में और उसी पद पर पदस्थ नहीं किया जाएगा। फिर से पदस्थ करने के लिए कम से कम तीन साल का अंतर होना चाहिए। साथ ही यह भी आदेश दिया है कि एक पुलिस अनुविभाग (एसडीओपी, सीएसपी का क्षेत्र) में भी कोई दस वर्ष से ज्यादा पदस्थ नहीं रहेगा।

प्रदेश में सेवारत पुलिसकर्मी की मौत हो जाने पर अब उसके परिवार को पहले की अपेक्षा ज्यादा परिवार पेंशन मिलेगी। इसके लिए नियमों में संशोधन करते हुए पुलिस कर्मी की रिटायरमेंट अवधि तक के वेतन के हिसाब से परिवार पेंशन का प्रावधान कर दिया गया है। गृह विभाग ने इसकी अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित करते हुए इसे लागू कर दिया है।  मध्यप्रदेश पुलिस कर्मचारी वर्ग आसाधारण परिवार निवृत्त वेतन नियम 1965 में संशोधन किया गया है।

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