ग्वालियर। भिण्ड शहर के भीमनगर में रहने वाली 28 वर्षीय सुनीता तोमर दो साल तक कैंसर से लडते हुए आखिरकार मौत से हार ही गई, लेकिन जाते-जाते लोगों को संदेश दे गई कि तंबाकू सेवन करने वालों की जिन्दगी सुरक्षित नहीं है। तम्बाकू के खिलाफ सुनीता ने सरकार की तम्बाकू विरोधी मुहिम में दिल से पूरा योगदान दिया। लेकिन सरकार ने उसकी कोई मदद करने की बजाय सिर्फ उपयोग ही किया। मदद के नाम पर दिल्ली में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जयवर्धन के हाथों उसे अगस्त 2014 में एक शॉंल व श्रीफल देकर संमानित करके सरकार ने इतिश्री कर ली। अगर सरकार चाहती तो सुनीता की आर्थिक मदद कर बेहतर इलाज कराती तो शायद आज सुनीता मौत के लडने के साथ तम्बाकू विरोधी अभियान में और अधिक समय तक अपना योगदान दे सकती थी। मृतिका सुनीता का पति वृजेन्द्र तोमर का मनोबल सरकार की उपेक्षा के चलते टूट गया। मेहनत मजदूरी करके अपना और बच्चों का जीवन ज्ञापन करने वाले वृजेन्द्र तोमर ने बताया कि कैंसर से पीडित मेरी पत्नी सुनीता ने दम तोड दिया। सरकार ने इलाज के लिए उसकी कोई आर्थिक मदद भले ही नहीं की फिर भी वह नहीं चाहते कि अब और भी कोई कैंसर का शिकार होकर असमय काल के गाल में जाए। बैसे तो सरकार को कैंसर जैसी घातक बीमारी का कारण बनने वाले उत्पादनों पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाना चाहिए।
वृजेन्द्र सिंह तोमर का कहना है कि भले ही मेरी पत्नी सुनीता तम्बाकू विरोधी अभियान से लडते-लडते स्वयं मौत से हार गई लेकिन हम अपने इस अभियान को जारी रखेंगे। और लोगों को तम्बाकू का सेवन नहीं करने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।
वृजेन्द्र सिंह ने बताया कि आज दोपहर वह भीमनगर स्थित घर पर बैठे थे तभी बाइक पर सवार तीन युवक आए और उन्होंने कहा कि तुम्हारी पत्नी तम्बाकू विरोधी अभियान चलाते-चलाते तो मर चुकी है तुम्हारी पत्नी के कारण उनके मालिकों का काफी नुकसान हुआ है। अब पत्नी के साथ तम्बाकू विरोधी अभियान भी यही बंद कर दो। पत्नी को खो देने के बाद मानसिक रुप से दुःखी वृजेन्द्र ने धमकी के बाद भी अपना आपा नहीं खोया और उनकी धमकी पर अपनी कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी। वृजेन्द्र ने बताया कि तम्बाकू विरोधी अभियान क ेसाथःसाथ वह अब इस कारोबार से जुडे ऐसे लोगों क ेखिलाफ भी अभियान चलायेंगे जो शासन, प्रशासन की नाक के नीचे इस बीमार को बांट रहे है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में तम्बाकू युक्त गुटकों पर प्रतिबंध है वैसा प्रतिबंध अब पूरे देश में लगाया जाना चाहिए।
तंबाकू सेवन से हुए कैंसर से सुनीता ने कल सुवह 4 बजे ग्वालियर के जयारोग्य चिकित्सालय में अंतिम सांस ली थी।