सोनागिर। दिगंबर जैन परम्परा के विख्यात गणाचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महाराज के प्रखर वक्ता संत क्रांतिवीर मुनिश्री प्रतीक सागर जी महाराज के मार्गदर्शन में एवं आचार्यश्री धर्म भूषण जी महाराज के पावन सानिध्य में 21 और 22 नवंबर को करोना महामारी की शांति हेतु, विश्व कल्याण के लिए, 108 मंडली भक्तामर महामंडल विधान, दीपोत्सव, यज्ञ एवं पिच्छिका परिवर्तन समारोह का भव्य आयोजन विशाल धर्मशाला सोनागिर में आयोजित किया जाएगा। संपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन दिगंबर जैन जागरण युवा संघ रजिस्टर मुंबई द्वारा किया जाएगा।
कार्यक्रम के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया की कार्यक्रम का प्रारंभ 21 नवंबर को दोपहर 2 बजे भट्ठारक कोठी से मुनि संग के प्रस्थान साथ होगा। वही शाम 6 बजे चंद्रप्रभ सभा ने संगीतमय भक्तामर दीपोत्सव संगीतकार महेंद्र एंड पार्टी पाली द्वारा किया जाएगा तथा 22 नवंबर प्रातः 8 बजे भव्य देव शास्त्र गुरु जुलूस निकाला जाएगा जो सोनागिर के मुख्य मार्गों से होता हुआ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचेगा। जहां प्रातः 9 बजे महावीर प्रसाद जैन शिवपुरी द्वारा ध्वजारोहण एवं अखंड सौभाग्यवती महिलाओं द्वारा कार्यक्रम स्थल की शुद्धि की जाएगी। दोपहर 12 बजे से, विविध मांगलिक क्रियाएं मंगलाष्टक, दीप प्रज्वलन, बीजअक्षर युक्त, विश्व कल्याण के लिए महाशांतिधारा, सकली करण, 5400 श्रीफल चढ़ाकर भगवान आदिनाथ की संगीतमय

महापूजन, आचार्यश्री धर्म भूषण जी महाराज एवं क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीक सागर जी महाराज को नवीन पिछिका भेंट, मुनिश्री के मंगल प्रवचन, पादप्रक्षालन, शास्त्र भेंट करेंगे। वही शाम 6 बजे 1008 दीपों से महाआरती आयोजन समिति द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित रहने वाले सभी लोगों के लिए स्वामी वात्सल्य भोजन की व्यवस्था की गई है। कार्यक्रम में दिल्ली, महाराष्ट्र एवं संपूर्ण ग्वालियर संभाग से भक्तजन उपस्थित होंगे। कार्यक्रम की तैयारियों में महेंद्र बंटी, सुनील लोहिया, नीरज जैन, प्रवक्ता सचिन जैन, मनोज टाइगर, राजू कपड़े वाले, जितेंद्र जैन, दिनेश एडवोकेट, राजू चैधरी, आशीष जैन, कोमल चंद जैन, वीरेंद्र चैधरी, अजीत जैन ,रविंद्र जैन, राजकुमार जैन इंजीनियर, धर्मेंद्र जैन, अजय जैन, नीरज जैन, एवं सोनागिर दिगंबर जैन समाज तथा दिगंबर जैन जागरण युवा संघ डबरा आदि युद्ध स्तर पर तैयारियों में लगे हुए हैं।

देश और समाज में बदलाव के लिए संस्कृति और संस्कारों का शंखनाद होना बहुत जरूरी है-मुनिश्री
मुनिश्री प्रतीक सागर जी महाराज ने विशाल धर्मशाला में संबोधित करते हुए कहा कि भक्तामर विधान में 2688 बीजमंत्र है जिसे धारा जिले की जेल में बैठकर आचार्य मंनतुग द्वारा लिखा गया। भक्तामर द्वारा मानसिक, शारीक, आर्थिक समस्याओं के समाधान तुरंत हो जाते हैं। भक्तामर के द्वारा केन्सर, चर्म रोग, टीवी जैसी बीमारियों को दूर किया गया है।

भारत की संस्कृति रिषी ,कृषि की संस्कृति है। जिस देश का किसान समृद्ध होगा वह देश चैमुखी विकास करेगा। देश और समाज में बदलाव के लिए संस्कृति और संस्कारों का शंखनाद होना बहुत जरूरी है। आज सारा विश्व करोना महामारी रूपी वायरस से ग्रसित है। उसका कारण धर्म और संस्कृति के सदसंस्कारों को छोड़कर अनीति और न्याय के मार्गों पर चलकर भोग बादिता को बढ़ावा देना है। भारत देश हमेशा आत्मनिर्भर रहा है मगर पाश्चात्य संस्कृति के चलते परश्रित हो गया है। शरीर की शक्ति से बड़ी आत्मिक शक्ति होती है। आज राम कृष्ण बुद्ध महावीर आदि महापुरुष तुम्हें बुराइयों से बचाने नहीं आएंगे तुम्हें स्वयं बुराइयों से बचना होगा और अपने परिवार में सदसंस्कारों का बीजारोपण करना होगा। महिलाओं और बालिकाओं के साथ बलात्कार ,दुर्व्यवहार, मारपीट, दहेज के नाम जलाना, कष्ट देना भारत की संस्कृति के माथे पर कलंक का टीका है। भारत की संस्कृति नारी सम्मान की संस्कृति है जहां कहा जाता हैं जिस घर में नारी का सम्मान होता है उस घर में देवताओं का निवास होता है। लक्ष्मी की असीम कृपा होती है।
मुनि श्री ने कहा कि महिलाओं और बालिकाओं को सतीसीता, अनुसूया, चंदनबाला, मैना सुंदरी, प्रतिभा पाटिल, किरण बेदी आदि की तरह देश और समाज के सामने आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए।

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