भोपाल. मध्यप्रदेश में IPS अफसरों की तादाद बढ़ने वाली है. इसकी तैयारी कर ली गयी है. कैडर रिव्यू होने के बाद आईपीएस अफसरों की संख्या में 15 फीसदी तक बढ़ोतरी हो जाएगी. 5 साल बाद कैडर रिव्यू किया जा रहा है. इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने प्रस्ताव बनाकर गृह विभाग को भेज दिया है. मौजूदा दौर में मध्य प्रदेश में आईपीएस कैडर के 213 पद मंजूर हैं. इसमें कैडर पोस्ट 166, सेंट्रल डेपुटेशन में 66, स्टेट डेपुटेशन में 41 पद हैं. ट्रेनिंग के लिए रिजर्व पांच पोस्ट हैं. जूनियर पोस्ट रिजर्व कैटेगरी में 27 हैं. इसी तरह 92 वो पद शामिल हैं, जो एसपीएस के प्रमोशन से भरे जाना हैं. अभी आईपीएस अफसरों की टोटल संख्या 305 है. नए प्रस्ताव पर मोहर लगने के बाद यह संख्या बढ़कर करीब 348 हो जाएगी.

गृह विभाग को भेजा प्रस्ताव
पुलिस मुख्यालय ने प्रस्ताव बनाकर गृह विभाग को भेजा है. दिसंबर में प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाना है. पांच साल बाद आईपीएस अफसरों का कैडर रिव्यू हो रहा है. इस बार 15 फीसदी पद बढ़ाने की तैयारी है, जिसमें एडीजी के ही 16 नए पद शामिल हैं. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा इसे अंतिम रूप देंगे और जल्द इसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने रखा जाएगा. दिसंबर में प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाना है. 2015 में जब कैडर रिव्यू हुआ था, तब 158 से बढ़कर संख्या 166 हो गई थी. तब पांच प्रतिशत के आसपास पद बढ़ाए गए थे.

25 साल की सेवा
25 साल की सेवा पूरी होने पर एडीजी पद पर प्रमोशन का नियम है. जबकि डीजी के लिए सेवाकाल 30 साल तय है. कई आईपीएस अफसरों की सेवाएं इन पैरामीटर पर पहुंच गई हैं. इसीलिए शासन की कोशिश है कि एडीजी के पद बढ़ाकर सभी को प्रमोशन दिया जा सके.

प्रदेश में एडीजी की भरमार
मध्यप्रदेश में एडीजी स्तर के अफसरों की भरमार है. यही वजह है कि कैडर रिव्यू में एडीजी के 16 नए पद शामिल किए गए हैं. अभी आईजी की 15 पोस्ट पर एडीजी ही बने हुए हैं. आई जी के पद पर एडीजी के बने रहने की वजह से जेल मुख्यालय में विवाद भी हो चुका है. एडीजी स्तर के अधिकारियों के खिलाफ जेल मुख्यालय के अधिकारियों ने मोर्चा भी खोला लिया था और सरकार को चिट्ठी भी लिखी जा चुकी है. वर्तमान में एमपी पुलिस महकमे में कुल 42 एडीजी हैं. इसमें 16 पद कैडर के और इतने ही एक्स कैडर के पद हैं.

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