भोपाल ! मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, कि प्रदेश में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान से किसानों पर भारी संकट आया है। संकट की इस घड़ी में पूरी सरकार उनके साथ खड़ी है। उन्होंने कर्ज और बिजली के बिलों की वसूली स्थगित करने तथा प्रभावित किसानों को हरसंभव मदद का ऐलान भी किया। मुख्यमंत्री ने सदन में अविलंब लोक महत्व के विषय ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान को लेकर सदन में करीब 6 घंटे चली चर्चा का उत्तर देते हुए कहा, कि जब भी आपदा आई है उनकी सरकार हमेशा किसानों के साथ खड़ी हुई है और वे खुद भी किसानों के बीच पहुंचे हैं। उन्होंने कहा, कि किसानों को उचित राहत के लिए ही उनकी सरकार ने राजस्व संहिता में कई संशोधन कराए हैं। जिससे प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को पहले की तुलना में कहीं अधिक मुआवजा दिया जा रहा है। उन्होंने विपक्ष के टोकाटाकी और हंगामे के बीच बताया, कि कांग्रेस शासनकाल के दौरान जो मुआवजा दिया जाता था वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान था। मुख्यमंत्री ने कहा, कि जरूरत पड़ी तो किसानों
सबसे ज्यादा विपक्षी सदस्यों ने लिया चर्चा में भाग
ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान पर सदन में हुई चर्चा मे ज्यादातर विपक्षी सदस्यों ने हिस्सा लिया। कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे के अलावा वरिष्ठ सदस्य डा. गोविन्द सिंह, महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा, मुकेश नायक, बाला बच्चन ने जहां सर्वे और राहत को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की वहीं सुन्दरलाल तिवारी, जीतू पटवारी, जयवर्धन सिंह, कमलेश्वर पटेल, रजनीश सिंह, गिरीश भंडारी, गोर्वधन उपाध्याय, नीलेश अवस्थी, निशंक कुमार जैन, सचिन यादव, शैलेन्द्र पटेल, यादवेन्द्र सिंह, उमंग सिंगार, विक्रमसिंह नातीराजा, हिना कांवरे, सोहनलाल वाल्मिक, सौरभ सिंह, प्रताप सिंह बघेल, बसपा के सत्यप्रकाश शंखवार, शीला त्यागी और बलवीर सिंह दंडोतिया ने भी चर्चा में हिस्सा लिया। जबकि सत्ता पक्ष की ओर से विश्वास सारंग, यशपाल सिंह सिसौदिया, मुकेश सिंह चौधरी, हेमंत विजय खंडेलवाल, चौधरी चंद्रभान सिंह, बेल सिंह भूरिया, गोविंद सिंह पटेल, दिलीप सिंह परिहार, दुर्गालाल विजय, आशीष शर्मा ने अपनी बात रखी।
अनुपूरक बजट पारित, किसानों की मदद के लिए 5 सौ करोड़
विधानसभा वित्तमंत्री जयंत मलैया द्वारा पेश 10 हजार छह सौ 57 करोड़ रुपये के अनुपूरक बजट पारित कर दिया गया। इस बजट में अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों की मदद के लिए 5 सौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
विधानसभा के एक दिवसीय सत्र की शुरुआत केरल विधानसभा के अध्यक्ष जी. कार्तिकेयन, मध्यप्रदेश विधानसभा की पूर्व सदस्य एफ.सी. बाटकिस के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि और दो मिनट का मौन रखने के साथ हुई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे और विधानसभाध्यक्ष सीतासरण शर्मा ने दिवंगत नेताओं की राजनीतिक सक्रियता और योगदान को याद किया। सदन की कार्यवाही पांच मिनट तक स्थगित रहने के बाद वित्तमंत्री मलैया ने अनुपूरक बजट पेश किया। इस पर शुरू हुई चर्चा में विपक्ष की ओर से महेंद्र सिंह कालूखेड़ा और मुकेश नायक ने राज्य में वित्तीय अनुशासन न होने का हवाला दिया। उन्होंने राज्य में बढ़ते कर्ज और राजकोषीय घाटे का उल्लेख करते हुए कहा, कि वित्तीय अनुशासन के लिए मंत्रियों और अफसरों के खर्चों पर रोक लगाई जानी चाहिए जो बेतहाशा बढ़ गए हैं। कांग्रेस विधायकों ने कहा कि राज्य में बजट का बड़ा हिस्सा सिर्फ मार्च के माह में खर्च किया जाता है। साथ ही सीएजी द्वारा उठाए गए सवालों का भी जिक्र किया। वित्तमंत्री श्री मलैया ने अनुपूरक बजट पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए कहा, कि यह कहना सही नहीं है, कि राज्य में वित्तीय अनुशासन नहीं है। उन्होंने कहा, कि निर्धारित मापदंडों के अनुसार ही राज्य में वित्तीय प्रबंधन किया जा रहा है। श्री मलैया ने विपक्ष के आरोपों का उत्तर देते हुए कहा, कि 2003 में स्थापना व्यय 64 प्रतिशत तक पहुंच गया था, जो अब घटकर 36 प्रतिशत हो गया है। राजकोषीय घाटा भी 3 प्रतिशत की सीमा में है। कर्ज को लेकर उन्होंने फिर कहा, कि कर्ज लेना कोई बुराई नहीं है। यह सही है, कि प्रदेश पर 95 हजार करोड़ का कर्ज है, लेकिन यह विकास कार्यों के लिए लिया गया है।
सदन स्थगित, धरने पर बैठे कांग्रेस विधायक
मुख्यमंत्री के भाषण से पहले नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे ने अपने भाषण में सत्तापक्ष के समक्ष कई मांगे रखीं। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा, कि प्राकृतिक आपदा के कारण बर्वाद हुई फसलों और किसानों के ऊपर आई इस विपत्ति में विपक्ष भी कोई राजनीति नहीं चाहता। हम चाहते हैं, कि किसानों को समुचित राहत मिले। इसके साथ ही श्री कटारे ने किसानों को 30 दिन के भीतर मुआवजे का वितरण करने उनके कर्ज और बिजली का बिल माफ करने और 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान वाले किसानों के लिए 6 माह के खाद्यान्न, अगली फसल के बीज और पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करने की मांग की। मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में कर्ज वसूली और बिजली के बिल स्थगित करने की बात तो की, लेकिन उन्हें माफ करने का कोई उल्लेख नहीं किया। वहीं अन्य मांगों पर भी मुख्यमंत्री का जवाब नहीं आने से नाराज विपक्षी कांग्रेस सदस्यों ने सदन की कार्रवाई स्थगित करने के बाद भी गर्भगृह में धरना शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री का भाषण जैसे ही समाप्त हुआ नेता प्रतिपक्ष ने कहा, कि मुख्यमंत्री बताएं कि हमने जो मांगें रखी थी उनमें से कौन से मांगें उन्होंने मानी हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा, कि यह ऐसी बात है, कि जब पूरी रामायण हो गई तब यह पूछा जा रहा है, राम-सीता कौन है। इस पर श्री कटारे ने कहा, कि राम-सीता के बारे में मुझे भी ज्ञान है। इस पर जब चाहें हम बात कर लेंगे, लेकिन हम मुख्यमंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने यह कहते हुए सदन में धरने की घोषणा कर दी। श्री कटारे धरना देने के लिए आगे बढ़े ही थे, कि अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा ने सदन की कार्रवाई अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी और राष्ट्रगान शुरू हो गया। सदन स्थगित होने के बाद श्री कटारे कांग्रेस दो दर्जन से अधिक विधायकों के साथ गर्भगृह में जाकर धरने पर बैठ गए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा, कि वे रातभर धरने पर बैठेंगे। इसके बाद परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह धरने पर बैठे कांगे्रस विधायकों से मिलने पहुंचे और उनसे धरना समाप्त करने का अनुरोध किया। भूपेन्द्र सिंह के बाद संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने भी धरना दे रहे कांग्रेस विधायकों के बीच पहुंचकर उनसे धरना समाप्त करने का अनुरोध किया। समाचार लिखे जाने पर धरना जारी था।