भोपाल ! पीएमटी घोटाले की जांच कर रही ग्वालियर की एसआईटी ने सॉल्वरों के बड़े दलाल कानपुर के आयुर्वेदिक डॉक्टर सुरेंद्र वर्मा को दबोच लिया है। उसकी गिरफ्तारी पर 15 हजार का इनाम घोषित था। यही डॉ. दीपक यादव के रैकेट को सॉल्वर उपलब्ध कराता था। इसी ने नगर निगम के निलंबित इंजीनियर अतिबल सिंह यादव के बेटे अरुण यादव को पीएमटी में सिलेक्ट कराने के लिए सॉल्वर उपलब्ध कराया था।
एसआईटी ग्वालियर प्रभारी वीरेंद्र जैन ने बताया कि कानपुर के आयुर्वेदिक डॉक्टर सुरेंद्र पुत्र शिवकुमार वर्मा विंदकी फेतपुर कानपुर की लंबे समय से तलाश की जा रही थी। यह फर्जीवाड़े से पीएमटी में सिलेक्शन कराने वाले रैकेटे को सॉल्वर उपलब्ध कराने का मुख्य जरिया था। इसकी गिरफ्तारी पर आईजी ने 15 हजार का इनाम घोषित किया था। इसकी कानुपर सहित कई जिलों में तलाश की जा रही थी।
उप्र से टॉपर उपलब्ध कराता था: सुरेंद्र ने कबूल कर लिया है कि मोटी रकम लेकर डॉ. दीपक यादव, संतोष चौरसिया व प्रभात चौधरी के फर्जी छात्रों का सिलेक्शन कराने के लिए उसी ने यूपी के टॉपर भेजे थे। यूपी के अधिकांश स्कॉलर पार्ट टाइम इनकम के लिए सुरेंद्र वर्मा के संपर्क में थे।
इनके लिए सॉल्वर भेजना कबूला : पूछताछ में सुरेंद्र वर्मा ने सॉल्वरों के साथ उन लोगों के नाम उगल दिए, जिनके लिए उसने सॉल्वर भेजे थे। 2005 में विशाल यादव व पंकज गुप्ता 2006 में दीपक यादव की प्री-पीजी क्लीयर कराने के लिए सॉल्वर भेजा था। इसी साल अनिल यादव का सॉल्वर भेजा था। 2007 में वैभव जैन, 2008 में अविनाश शर्मा, 2009 में अतिबल के बेटे के लिए उपल्बध कराया था।
आरोपी सुरेंद्र वर्मा ने कबूल किया है कि उसी ने नगर निगम के निलंबित कार्यपालन यंत्री अतिबल यादव के बेटे अरुण यादव, अजितेश यादव के लिए सॉल्वर भेजा था। 2004 में डॉ. दीपक यादव ने सुरेंद्र वर्मा के माध्यम से भाई राहुल यादव व गौरव गुप्ता का सिलेक्शन कराया था।
सॉल्वर की सूची मिली: सुरेंद्र वर्मा ने सॉल्वरों के नाम भी उगल दिए। सॉल्वर पकड़े जाने से कई रसूखदारों के खिलाफ आरोप सिद्ध करने में एसआईटी को आसानी होगी।