भोपाल ! मध्य प्रदेश के रीवा जिले में जेपी सीमेंट फैक्टरी के समक्ष प्रदर्शनकारियों पर हुए गोली चलाने के कांड की जांच के लिए गठित एक सदस्यीय जांच आयोग का प्रतिवेदन राज्य सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में पेश कर दिया। इस जांच प्रतिवेदन में कहा गया है कि गोली चलाने के समय प्रबंधक रजनीश गौड़ मौजूद था और इस घटना के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी डी पी आहूजा और पुलिस अधीक्षक रवि गुप्ता की प्रशासनिक अक्षमता को जिम्मेदार माना गया है।
जेपी सीमेंट फैक्टरी के विंध्या द्वार पर प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों पर 22 सितंबर 2007 को गोली चलाई गई थी, इस गोलीकांड में राघवेंद्र की मृत्यु हुई थी और कई घायल हुए थे।
इस मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने 31 अक्टूबर 2007 को सुषमा खोसला की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग गठित किया था। इस आयेाग की रिपोर्ट आ गई है।
इस जांच प्रतिवेदन में कहा गया है कि जिन किसानों की जमीन पर जेपी सीमेंट फैक्टरी स्थापित हुई थी उन्हें नौकरी देने का भरोसा दिलाया गया था। नौकरियां मिली भी मगर आगे भी नौकरी मिलती रहे इसके लिए सामंजस्य स्थापित नहीं किया गया। 22 सिंतबर 2007 को प्रदर्शन कर रहे लोग शस्त्र लेकर नहीं आए थे, उसके बावजूद पुलिस ने आंसूगैस के गोले छोड़े और फैक्टरी की ओर से गोली चलाई गई। इस मौके पर प्रबंधक रजनीश गौड मौजूद थे। अन्य कोई प्रबंधक मौजूद नहीं था।
जांच प्रतिवेदन में आगे कहा गया है कि प्रबंधन के सुरक्षाकर्मी द्वारा प्रतिरक्षा में गोली चलाने की बात कही गई मगर इसके आधार नहीं मिले हैं। इतना ही नहीं तत्कालीन जिलाधिकारी आहूजा व पुलिस अधीक्षक गुप्ता ने अपनी प्रशासनिक क्षमताओं का उपयोग नहीं किया।
आयोग ने जांच प्रतिवेदन में गोली कांड में मारे गए राघवेंद्र के परिजनों को सिर्फ एक लाख रुपये की सहायता राशि दिए जाने को भी नाकाफी बताया है। यह राशि जेपी प्रबंधन ने दी है, ऐसे में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा से राज्य सरकार अपने उत्तरदायित्व से नहीं बच सकती।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के प्रदेश सचिव बादल सरोज का कहना है कि राज्य सरकार के इशारे पर जेपी प्रबंधकों को बचाने की कोशिश की गई है। वे सवाल करते हैं कि यह कैसे संभव हो सकता है कि जेपी के प्रबंधकों की अनुमति के बिना फैक्टरी का सुरक्षाकर्मी गोली चलाए, जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक पर सवाल उठाकर आयोग ने अपनी खीझ निकाली है। उनकी मांग है कि राघवेंद्र के परिजनों को 25 लाख रुपये की सहायता और घायलों को सात-सात लाख रुपये की सहायता दी जानी चाहिए।