भोपाल। भोपाल के सरकारी जयप्रकाश जिला अस्पताल में उस वक्त अजीब स्थिति पैदा हो गई जब एक नवजात पर दो परिवारों ने अपना-अपना दावा ठोंक दिया। इस मुश्किल भरी गुत्थी को सुलझाने के लिए अब अस्पताल प्रशासन ने जांच समिति की सिफारिश पर गुरुवार की शाम को डीएनए टेस्ट कराने का फैसला किया है।

दरअसल, एक महिला गुरुवार की सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर बेटे को सीजेरियन के जरिए जन्म दिया। उसी समय एक अन्य महिला का भी उसी ऑपरेशन थिएटर में सिजेरियन होना था, जिसने 10 बजकर 53 मिनट पर बेटी को जन्म दिया। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, दोनों ही महिलाओं के परिवार ऑपरेशन थिएटर के बाहर सिजेरियन होने तक का इंतजार कर रहे थे।बेटा के पैदा होने के बाद कांट्रैक्ट पर अस्पताल में नियुक्त एक नर्स ने ऑपरेशन थिएटर से बाहर आते हुए वह उस परिवार को बच्चा थम दिया, जिसका सिजेरियन होना अभी बाकी था।

नर्स को जल्द ही अपनी गलती का एहसास हुआ और वह ऑपरेशन थिएटर के अंदर गई। उसके बाद वह बाहर यह कहने के लिए आई कि उनके हाथ में जो बच्चा है वह दरअसल उनका बच्चा नहीं। नर्स की इन बातों को सुनने के बाद वहां पर परिवार की तरफ से भारी बवाल काटा गया। रिश्तेदारों की तरफ से भारी गुस्से को देखते हुए अस्पताल की तरफ से तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई। कमेटी इस नतीजे पर पहुंची की जिस महिला ने 11 बजकर 53 मिनट पर बच्ची को जन्म दिया था, उसको ऑपरेट करने वाली डॉक्टर श्रद्धा अग्रवाल ने फौरन उस महिला को बच्ची पैदा होने के बारे में बता दिया था। महिला ने भी परिवार और पुलिस ऑफिसर को इस बात की पुष्टि की। लेकिन, परिवार की तरफ से भारी आपत्ति को देखते हुए कमेटी ने डीएनए की सिफारिश की। इसके साथ ही, नर्स सुरेखा विल्सन को एक अन्य वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि जिस महिला ने बच्ची को जन्म दिया उसके पास पहले से ही एक बेटी है। ऐसे में यह हो सकता है कि उसका परिवार यह स्वीकार नहीं कर पा रहा हो कि एक और बेटी पैदा हो।

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