इंदौर ! मध्य प्रदेश में जन-निजी भागीदारी (पीपीपी) के स्विस चैलेंज मॉडल के लिए सारे सेक्टर खोल दिए गए हैं। पीपीपी मॉडल-स्विस चैलेंज की चुनौतियां विषय पर शुक्रवार को इन्दौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान हुए सेक्टोरल सेमीनार में विशेषज्ञों ने इस संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा की गई नीतिगत पहल की सराहना की। पीपीपी विशेषज्ञ अभयकृष्ण अग्रवाल ने स्विस चैलेंज प्रोक्योरमेंट विषय पर अपने प्रजेन्टेशन में इसके सभी पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि परिवहन के क्षेत्र में यह मॉडल बहुत सफल रहा है। इस मॉडल के माध्यम से सरकारों की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है। यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि इस मॉडल में प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद अधूरा नहीं छोड़ा जाए। यह भी देखा जाए कि कोई भी बिडर एक बार काम शुरू कर दे, तो उसे अधूरा छोड़कर न जाए।
उन्होंने कहा कि यह मॉडल भले ही बहुत ज्यादा लोकप्रिय न हो, लेकिन देश के कई राज्य और अनेक देश ने इसमें बहुत से सफल काम किए हैं। कई राज्यों ने स्विस चैलेंज फ्रेंमवर्क भी तैयार किए हैं।
इंटरनेशनल फायनेंस कार्पोरेशन के सीनियर इन्वेस्टमेंट ऑफिसर डर्क सोमेर ने स्विस चैलेंज मॉडल में प्राप्त होने वाले अनसॉलिसिटेड प्रस्तावों के विषय में प्रेजेंटेशन देकर इसकी प्रासंगिकता को बताया। उन्होंने विभिन्न देश में इस मॉडल में किए गए ऐतिहासिक कार्यो का उदाहरण दिया। इस संदर्भ में उन्होंने मिस्र में स्वेज केनॉल, फ्रांस में केनॉल डि मिडी सहित आस्ट्रेलिया, फिलीपीन्स और कोरिया में हुए कार्यो का उल्लेख किया।
आयुक्त संस्थागत वित्त और मुख्यमंत्री के सचिव विवेक अग्रवाल ने देश के अनेक राज्य में स्विस चैलेंज मॉडल के माध्यम से किए गए कार्यो की चर्चा की। उन्होंने तमिलनाडु, पंजाब, आंध्रप्रदेश, गुजरात और केरल में हुए कार्यो के बारे में बताया। उन्होंने जानकारी दी कि मध्यप्रदेश में इस मॉडल में आईटी क्लाउड कंपीटिंग और रूरल बीपीओ के क्षेत्र में प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। पहला प्रस्ताव ग्रामीण क्षेत्रों में बीपीओ स्थापित करने का है।

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