सोनागिर। जो जाता है वह सत्य नहीं है जो अनुभव किया जाता है वह सत्य है। सत्य शब्दों से परे है और आचरण से युक्त है। होठों से जो कहा जाता है अधूरा सत्य है। मिश्री की मिठास का अनुभव किया जा सकता है उसे दिखाया नहीं जा सकता है। यह उदगार पर्युषण पर्व पर मुनिश्री प्रतीक सागर जी महाराज ने सोनागिर स्थित भट्टारक कोठी में आज पांचवे दिन उत्तम सत्य धर्म का महत्व को बताते हुए व्यक्त किए।
मुनि श्री ने कहा कि सत्य का मार्ग सीधा जरूर है पर चलना उस पर बड़ा कठिन है। सत्य बोलने वाले को अनेकों संकटों का सामना करना पड़ता है। सत्य परेशान जरूर होता है मगर कभी पराजित नहीं होता। हमेशा सत्य की ही विजय होती है। सत्य की विशेषता है की उसे श्राप नहीं लगता ,काल नहीं खा सकता, सत्य को ग्रहण करने वाले जीव को सत्य ही मिलता है वह स्वयं ईश्वर रूप हो जाता है। मगर आज झूठ का बोलबाला है।
मुनि श्री ने कहा कि क्रोधी, लोभी, लालची, मजाकिया, डरपोक व्यक्ति कभी सत्य नहीं बोल सकता है। सत्य बोलने वाला निर्भीक और निर्लोभी होना चाहिए। हित मित प्रिय बोलने वाला होना चाहिए। इस जगत में पूर्ण सत्य तीर्थंकर भगवान समोशरण में बैठकर सर्वांग से बोलते हैं। ज्ञानियों ने कहा है ऐसा सत्य नहीं बोलना जिससे किसी के प्राण चले जाएं और ऐसा झूठ भी नहीं बोलना जिससे कि किसी के प्राण संकट में आ जाए। सत्य बोलने वाला व्यक्ति दया और करुणा से उसका ह्रदय लबालब भरा होना चाहिए। सत्य बोलने बाला हमेशा प्राणी मात्र के लिए कल्याण की भावना ही भाता है। आज उत्तम सत्य धर्म कहता है अपने जीवन को सत्य की राख से माज लो तो तुम्हारे जीवन में तप और त्याग की चमक पैदा हो जाएगी जो तुम्हारे जीवन को स्वर्ण की तरह शुद्ध बना देगी। संध्याकालीन समय में गुरु भक्ति आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ जिससे भक्तगण आनंद विभोर हो उठे।