भोपाल.  मध्य प्रदेश के ज्यादातर जिलों में जारी भारी बारिश से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. सावन के बाद भादो में बदरा ऐसे बरस रहे हैं कि लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन गए हैं. भारी बारिश से बाढ़ (Flood) के हालात पर समीक्षा बैठक (Review Meeting) करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास (CM House) में एक आपात बैठक बुलाई. इस बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस (Chief Secretary Iqbal Singh Bains) समेत कई और अधिकारी मौजूद रहे.

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि प्रदेश के हर जिले की मॉनिटरिंग अनिवार्य तौर पर की जाए. जिला आपदा प्रबंधन समिति की बैठक कर समीक्षा कर लें और आवश्यक राहत कार्य शुरू करें. जिला मुख्यालय स्थित आपदा नियंत्रण केंद्र को 24 घंटे सक्रिय रखा जाए. बाढ़ की स्थिति में आपात राहत के लिए सभी उपयोगी उपकरण, खोज एवं बचाव दल पूरी तरह तैयार और मुस्तैद रहें. सीएम ने कहा नर्मदा घाटी विकास द्वारा बनाए गए कंट्रोल रूम से सतत संपर्क में रहें. बाढ़ की स्थिति की सूचनाओं के आदान-प्रदान एवं समन्वय स्थापित करने के लिए जिला कलेक्टर अपने सीमावर्ती जिलों के कलेक्टर के साथ संपर्क में रहें. जहां पानी भराव की स्थिति बनी हुई है, वहां के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने की व्यवस्था करें. मुख्यमंत्री ने राहत स्थलों पर भोजन, पानी और आश्रय की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा.

राजधानी भोपाल सहित पूरे प्रदेश में बीते 2 दिन से मूसलाधार बारिश का दौर जारी है. मध्य प्रदेश के केवल तीन जिलों को छोड़कर सभी जिलों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है. यह बारिश जहां खेती के लिए राहत की बात है, वहीं रिहायशी इलाकों में लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन गई है. राजधानी भोपाल के कई इलाकों में पानी भर गया है. आसपास के कुछ गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं. कई इलाकों में फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए एसडीआरएफ की टीमें लगी हुई हैं.

पूर्व सीएम कमलनाथ ने इस हालात पर दो ट्वीट किए. उन्होंने लिखा है कि प्रदेश के कई हिस्सों में अनवरत बारिश का दौर जारी है. निचले हिस्सों में पानी भर गया है. जलभराव से कई मार्ग अवरुद्ध हो गए हैं. मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि डूब क्षेत्र में आने वाले निचले इलाकों में तत्काल राहत व बचाव के कार्य शुरू करवाए जाएं. वहां रहने वालों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए. खतरे वाले स्थलों पर जाने पर रोक लगाई जाए. वहां सुरक्षा के इंतजाम किए जाएं. बचाव व राहत के कार्य पूरी मुस्तैदी से किए जाएं.

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