भोपाल। मुंगावली विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस की उर्वरा जमीन रही है किंतु भाजपा अब उस पर फसल उगाना चाहती है ।फिलहाल मौजूद राजनीतिक परिदृश्य को लेकर कुछ इसी तरह के संकेत मिल रहे हैं ।
ग्वालियर-चंबल अंचल में अशोकनगर जिले के मुंगावली विधानसभा क्षेत्र में भी प्रदेश की 27 सीटों के साथ उपचुनाव होने जा रहा है। कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक बृजेंद्र सिंह यादव का विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने के बाद यहां उपचुनाव की स्थिति बनी है। उन्हें शिवराज सरकार में राज्य मंत्री बनाया गया है । अब तक के हुए चुनाव में कांग्रेस के लिए बेहतर परिणाम देने वाले इस क्षेत्र में जीत की संभावनाओं को देखते हुए कांग्रेस से टिकट मांगने वालों की लंबी सूची है। लेकिन पार्टी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है और माना जा रहा है कि आंतरिक सर्वे के आधार पर ही चुनाव जीतने योग्य और बेहतर छवि के नेता को ही उपचुनाव लड़ाया जाएगा। क्षेत्र में सिंधिया का वर्चस्व है किंतु दिग्विजय सिंह के प्रभाव को भी कमतर नहीं माना जा सकता। स्पष्ट है कि आने वाले चुनाव में दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगेगी। कृषि प्रधान क्षेत्र में औद्योगिक विकास की कमी और बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है साथ ही खेती किसानी से जुड़ी तमाम समस्याएं यहां मौजूद है जिसके समाधान की राह तलाश रही जनता जातिवाद और अन्य मुद्दों से ऊपर उठकर अपने जनप्रतिनिधि चुनने के मूड में है।
मुंगावली विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस के लिए बेहतर चुनाव परिणाम उगलती रही है। मौजूदा चुनावी परिस्थितियां भी अनुकूल ही दिखाई दे रही है। संभवतः यही कारण है कि क्षेत्र से कांग्रेस का टिकट प्राप्त करने के प्रयास करने वालों की लंबी फेहरिस्त बन रही है। इनमें कन्हाई राम लोधी ,प्रद्युम्न सिंह डांगी ,मलकीत सिंह संधू ,मनु राजा ,राजा यादव ,सुरेंद्र जैन ‘राजू भैया’,रामबाबू लोधी और रचना रघुवंशी का नाम प्रमुखता से सामने आया है। इसके अतिरिक्त भाजपा से मोहभंग होने के बाद कांग्रेस में आकर चुनाव लड़ने का मंसूबा पालने वाले कुछ दलबदलू भी शामिल है। कन्हाई राम लोधी सिंधिया के समर्थक माने जाते थे और वह कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रहते हुए भाजपा में भी चले गए थे किंतु कुछ दिनों बाद ही वापस कांग्रेस में लौट आए हैं और अब पूरी ताकत से पार्टी टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं। प्रद्युम्न सिंह दांगी जिला कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष हैं और सिंधिया के करीबी होते हुए सांसद प्रतिनिधि भी रह चुके हैं , इसके बावजूद पार्टी का अंग बने हुए हैं और पूरी ताकत के साथ पार्टी टिकट प्राप्त करने की जुगाड़ कर रहे हैं। मलकीत सिंह जिला पंचायत से पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं और पिछले लोकसभा चुनाव के समय ही भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए हैं। वह भी दावेदारो में चुनाव जीतने योग्य प्रत्याशी माने जा रहे हैं। पड़ोसी विधानसभा क्षेत्र के विधायक गोपाल सिंह चौहान के युवा पुत्र अजय सिंह चौहान उर्फ मनु राजा भी प्रभावशाली और कांग्रेस के लिए सीट निकालने की क्षमता रखने वाले प्रत्याशी हो सकते हैं हालांकि उनके विधायक पिता इस पक्ष में दिखाई नहीं दे रहे हैं। इसी तरह दावेदारी जताते वाले अन्य नेता पार्टी के शीर्ष नेताओं के संपर्क में बताए जा रहे हैं।
विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए और बाद में राज्य मंत्री बने सिंधिया समर्थक बृजेंद्र सिंह यादव को लेकर माना जाता है कि दो बार अल्पकाल के लिए विधायक बनने के बावजूद वह पूरी तरह पब्लिक फ्रेंडली नहीं हो पाए हैं। इसी तरह उन पर क्षेत्र के विकास कार्यों को लेकर गंभीरता नहीं दिखाने, लगातार हो रहे अवैध उत्खनन और राशन की कालाबाजारी को संरक्षण देने का कथित आरोप भी लगते रहे है। ऐसी दशा में आने वाले उपचुनाव में उन्हें जनता के सवालों से दो-चार होना पड़ सकता है साथ ही उनकी चुनावी मुश्किलें भी बढ़ सकती है।
मुंगावली का यह उपचुनाव भाजपा या अन्य पार्टी से दल बदल कर आए दलबदलुओं को कांग्रेस प्रत्याशी बनाए जाने की दशा में उनके लिए हानिकारक हो सकता है। क्षेत्रीय प्रभारी पूर्व मंत्री सचिन यादव की मौजूदगी में हुई कांग्रेस कार्यकर्ताओं की कुछ बैठक में इस बात की स्पष्ट चर्चा हुई है और अधिकांश कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे दलबदलू नेताओं के लिए वह सहन नहीं होंगे। इसके बावजूद कांग्रेस की नजर पूर्व विधायक स्व. राव देशराज यादव की पत्नी बाई साहब यादव और उनके पुत्रों पर है और उनको भाजपा से कांग्रेस में लाने की पुरजोर कोशिश हो रही है । इनका पूरा परिवार और समर्थक ,बृजेंद्र सिंह यादव के कांग्रेस से भाजपा में जाने के बाद स्वयं को पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। कांग्रेस की नजर सिंधिया के घुर विरोधी माने जाने वाले क्षेत्रीय सांसद डॉ के पी यादव के भाई अजय यादव पर भी है जो कांग्रेस नेताओ के सम्पर्क मे हैं।
प्रदेश के 27 उपचुनाव वाले सीटों में से मुंगावली एकमात्र ऐसी सीट है जहां पिछले 4 वर्षों में दूसरा उपचुनाव होने जा रहा है। इस बीच 18 के विधानसभा चुनाव और 19 के लोकसभा चुनाव भी संपन्न हुए हैं। बार-बार चुनाव होने और आदर्श चुनाव आचार संहिता के कारण विकास कार्यों में बाधा आने से क्षेत्र की जनता त्रस्त हैं। इस बार होने वाले उपचुनाव के लिए पूरी तरह से विधायक पद से इस्तीफा देकर दलबदल करने वाले मौजूदा मंत्री को जिम्मेदार माना जा रहा है। ऐसी दशा में क्षेत्र के मतदाता बेहतर प्रत्याशी मिलने की दशा में कांग्रेस के लिए अच्छा परिणाम दे सकते हैं।