मथुरा । श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करने के लिए सरयूजी का जल लेकर श्रीराम जन्मभूमि न्यास और श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास मंगलवार शाम मथुरा पहुंचे। उन्होंने कहा कि अयोध्या के बाद अब मथुरा का नंबर है। हालांकि उन्होंने श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर किसी तरह के आंदोलन से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मंदिर-मस्जिद का कोई विवाद नहीं है और दोनों की अलग-अलग जगह हैं।
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर अभिषेक करने के लिए मंगलवार को महंत नृत्यगोपालदास जंक्शन रोड स्थित श्रीराम मंदिर पहुंचे। कोरोना काल में जन्माष्टमी के आयोजन के बदले स्वरूप पर महंत नृत्यगोपालदास ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी ब्रजवासियों की परंपरा और भावनाओं के अनुसार ही मनाई जाएगी। भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक सरयू के जल से करने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि सरयूजी का जल हो या यमुना का, अभिषेक होना चाहिए।
अयोध्या में श्रीराम मंदिर आंदोलन की सफलता के बाद मथुरा-काशी के प्रश्न पर उन्होंने सीधे जवाब न देकर इशारों में कहा कि अयोध्या, मथुरा, कांची, माया, हरिद्वार, काशी, अवंतिका पुरी, ये सप्तपुरियां मोक्ष देने वाली हैं। अयोध्या के बाद मथुरा का नंबर है। अयोध्या के बाद मथुरा, हरिद्वार और काशी। वृंदावन के साधु संतों के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति को लेकर हुई बैठक को लेकर उन्होंने कहा कि साधु संतों को जहां जरुरत होगी, वहां जाएंगे और उनकी आज्ञा का पालन करेंगे।
अयोध्या की तरह मथुरा में आंदोलन के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि मथुरा में आंदोलन की जरुरत नहीं। अयोध्या, मथुरा तो सिद्धपुरियां हैं, यहां आंदोलन किस लिए। महंत नृत्यगोपालदास ने साफ किया कि आंदोलन नहीं होगा। मंदिर मस्जिद विवाद निपटा ही हुआ है। मंदिर अपनी जगह है और मस्जिद अपनी जगह है। मथुरा में आंदोलन की जरुरत नहीं है।
एक ओर मोदी-एक ओर योगी, राम मंदिर निर्माण भी जल्द पूरा होगा
मंदिर निर्माण पूरा होने के प्रश्न पर महंत नृत्यगोपालदास ने कहा कि एक ओर मोदी एक ओर योगी। अब राम मंदिर का श्रीगणेश हो गया है, शिलान्यास हो गया। मंदिर बनने तो दो, पूरा भी जल्द हो जाएगा। उन्होंने सरयू के जल की विशेषता के बारे में कहा कि सरयूजी का जल दिव्य जल है। सरयूजी माता का जल सीधा उद्गम स्थल से ही आता है।
जन्माष्टमी पर निष्काम कर्मयोग का दिया संदेश
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर उन्होंने संदेश दिया कि भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति करके निष्काम कर्मयोग, माता पिता की सेवा, मातृ देवो भव- पितृ देवो भव- आचार्य देवो भव- अतिथि देवो भव की भावना रखनी चाहिए। प्रत्येक सदगृहस्थ को चाहिए कि माता पिता की सेवा करके गुरुजनों, वृद्धजनों की सेवा करें, यही सबसे बड़ा धर्म और सबसे बड़ा कर्म है। माता पिता और गुरुकी आज्ञा का पालन करना ही सबसे बड़ा धर्म और कर्म है।
भड़काऊ भाषण देने के आरोप में संत के खिलाफ मुकदमा दर्ज
कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत आनंद वाटिका निवासी एक संत के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने और सांप्रदायिक भावना भड़काने की कोशिश में कोतवाली पुलिस ने संत के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस द्वारा मंगलवार देर शाम को कोतवाली में दर्ज कराए गए मुकदमे के अनुसार आनंद वाटिका निवासी श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास ट्रस्ट के अध्यक्ष संत देवमुरारी बापू द्वारा अपने कार्यालय में आयोजित बैठक में कार्यकर्ताओं को भड़काऊ भाषण दिए। जिसमें उन्होंने श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर को मुक्त कराने एवं मंदिर मुक्ति के लिए आंदोलन चलाने की बात कही थी। उनके इस भाषण से समाज में सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ने की संभावना को देखते हुए पुलिस ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।