अभिनेत्री राधिका आप्टे का कहना है कि वह किसी सुविधाजनक चीज में फंसना नहीं चाहतीं और न ही संतुष्ट होना चाहती हैं और न ही वह प्रसिद्धि का पीछा कर रही हैं। उन्होंने कहा, “मैं यहां प्रसिद्धि के लिए नहीं हूं। मैं कभी-कभी सुविधाओं को पसंद करती हूं, लेकिन मैं सफलता और असफलता को गंभीरता से नहीं लेती।”
उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि ये अस्थायी हैं। हालांकि आप या तो इसे गंभीरता से नहीं ले सकते, लेकिन आप इन्हें अनदेखा भी नहीं कर सकते। आपके सफर में वे बहुत महत्वपूर्ण पहलू हैं, आपको प्रशंसा की आवश्यकता है, आपको अपनी पीठ को कई बार थपथपाने की जरूरत है, आपको सराहना भी पसंद करनी होगी और आपको अपनी असफलता से भी सीखना होगा और निराश नहीं होना चाहिए। मैं एक संतुलित नजरिए के साथ चलती हूं।”
राधिका ने साल 2005 की रिलीज ‘वाह! लाइफ हो तो ऐसी’ में एक छोटी सी भूमिका के साथ उद्योग में प्रवेश किया और ‘शोर इन द सिटी’, ‘कबाली’, ‘फोबिया’, ‘बदलापुर’ और लघु फिल्म ‘अहल्या’ की।
अभिनेत्री को ‘फोबिया’, ‘बदलापुर’, ‘मांझी: द माउंटेन मैन’, ‘लस्ट स्टोरीज’, ‘सेक्रेड गेम्स’, ‘पैड मैन’ और ‘घोल’ में अपनी भूमिकाओं के साथ बॉलीवुड नायिका की रूढ़ीवादी छवि को तोड़ने का श्रेय दिया जाता है।