सोनागिर पारसनाथ भगवान ने सारी दुनिया को कहने का संदेश नहीं सहने का संदेश दिया। कमठ के जीव पारसनाथ के ऊपर 10 भाव तक उपसर्ग किया। मगर पारसनाथ ने उन्हें क्षमा प्रदान की । पलकों का उठना क्रोध है पलकों का झुकना क्षमा है यह शिक्षा हमें महापुरुषों से मिलती है । यह विचार क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीकसागर जी महाराज ने पार्श्वनाथ निर्वाण महोत्सव पर सभागृह में श्रद्धालुओ को सम्बंधित करते हुए कही!
मुनि श्री ने कहा कि नायक के व्यक्तित्व में चमक खलनायक से आती है राम के जीवन में रावण , कृष्ण के जीवन में कंस ,पारसनाथ के जीवन में कमठ का जीव खलनायक बनकर आया और उनके व्यक्तित्व में निखार आ गया। अगर आपके जीवन में भी कोई खलनायक आ जाए तो घबराने की आवश्यकता नहीं है अपितु सहनशील बनकर कर उसे क्षमा भाव पूर्वक सहन करें। ज्ञानी जीव निंदा करने वालों से घ्रणा नहीं करते क्योंकि वह सभी जीवो से प्रेम करते हैं। आप निंदक के दिमाग में रहते हैं और प्रशंसक के हृदय में रहते हैं। संघर्ष का नाम ही जिन्दगी है। मुनि श्री ने आगे कहा कि करुणा और दया दो आपके सबसे बड़े ब्रह्मास्त्र हैं जिनसे आप जगत के ऊपर राज कर सकते हैं प्रेम की भाषा तो इंसान क्या जानवर भी समझते हैं। जो कार्य क्रोध से नहीं हो सकता वह काम प्रेम से हो जाता है। अगर आप भगवान पारसनाथ को मानते हैं तो वह 10 भाव तक कष्ट देने वाले को माफ कर सकते हैं। तो क्या आप इसी भव में कष्ट देने वाले को माफ नहीं कर सकते क्या ? क्षमा करना वीरों का आभूषण है कायरों का आभूषण नहीं क्षमा मांगना सहज है मगर क्षमा करना दरियादिली का काम है।
चातुर्मास के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि गणधराचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महाराज के परम शिष्य क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीक सागर जी महाराज के दिशा निर्देश एवं मार्गदर्शन में 23वें तीर्थंकर भगवान पारसनाथ के निर्वाण कल्याणक के पावन अवसर पर 24 जिन प्रतिमाओं का महामस्तकाभिषेक एवं निर्वाण लाडू भक्ति भाव पूर्वक भट्ठारक कोठी में समर्पण किया गया। महोत्सव के शुभारंभ में श्री जी को पांडुक शिला पर विराजमान किया एवं गणाचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महाराज के चित्र का अनावर्ण एवं दीपप्रज्वलन श्री पदम जैन बंटी जैन नीरज जैन नरेन्द्र जैन ने किया, मुख्य पारसनाथ भगवान पर शांति धारा करने का सौभाग्य श्री विसाल कुमार जगदीश कुमार शिवपुरी ने प्राप्त किया 23 किलो का निर्वाण लाडू चढ़ाने का सौभाग्य श्री वीरेन्द्र कुमार नरेश कुमार हरिश कुमार चौधरी परिवार डवरा ने प्राप्त किया तथा अन्य 23 इंद्र ने सवा किलो के निर्वाण लाडू समर्पित किए ।निर्वाण लाडू समर्पित करने के पूर्व 24 इंद्र द्वारा 24 जिन प्रतिमाओं का मुनि श्री के मंत्रोच्चारण पूर्वक जिन अभिषेक किया गया जिसे देखकर उपस्थित भक्तगण भाव विभोर हो उठे इस कार्यक्रम में भगवान चंद्रप्रभ, शांतिनाथ ,महावीर स्वामी एवं विशेष रूप से संगीत में भगवान पारसनाथ की पूजन की गई। कार्यक्रम में आचार्य श्री धर्म भूषण जी महाराज आचार्य श्री आदर्शसागर जी महाराज आर्यिका प्रसन्न मति माताजी छुल्लक विगुण सागर जी महाराज का पावन सानिध्य प्राप्त हुआ एवं उन्होंने भी धर्म सभा को संबोधित किया। महोत्सव में शिवपुरी ग्वालियर भिंड डबरा आदि स्थानों से भक्त गणों ने हिस्सा लिया। आयोजक आचार्य पुष्पदंत सागर चातुर्मास समिति भारत एवं दिगंबर जैन जागरण युवा संघ रजिस्टर मुंबई के पदाधिकारियों द्वारा आगंतुक श्रद्धालुओं का भाव भिना स्वागत किया गया। विधि विधान पंडित शंशिकांत शास्त्री ग्वालियर द्वारा किया गया।