नई दिल्ली। राजस्थान में जारी सियासी घमासान के बीच राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य कैबिनेट की तरफ से विधानसभा सत्र बुलाने के अनुरोध को सोमवार की दोपहर को स्वीकार कर लिया। उनकी तरफ से यह फैसला उस वक्त किया गया जब कुछ देर पहले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने राज्यपाल के ‘बर्ताव’ को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात की और उन्हें इस बारे में बताया है। कांग्रेस और मुख्यमंत्री की तरफ से ‘ऊपर से दबाव’ के आरोपों के बावजूद आज जारी नोटिफिकेशन में राज्यपाल कलराज मिश्र ने इस बात को खारिज कर दिया कि विधानसभा सत्र बुलाने में वह देरी कर रहे थे। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की तरफ से 31 जुलाई से विधानसभा सत्र शुरू करने के प्रस्ताव की मांग को खारिज करते हुए आज सुबह राज्य सरकार से सफाई मांगी थी। कोरोना वायरस की स्थिति का हवाला देते हुए राज्यपाल ने कहा था कि इतने कम समय में सदन के सभी विधायकों को बुलाना कठिन होगा। इससे पहले, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि विधानसभा सत्र बुलाने में बाधा डालने से संसदीय लोकतंत्र का मौलिक आधार कमजोर होगा।
गौरतलब है कि इससे एक दिन पहले ही कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यपाल पर विधानसभा का सत्र बुलाने में देरी का आरोप लगाते हुए कहा था कि वे केन्द्र में ‘मास्टर’ के इशारे पर काम कर रहे हैं। राज्य में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और 18 अन्य उनके समर्थक कांग्रेस विधायकों के बागी होने के बाद राज्य की गहलोत सरकार बात को साबित करना चाहती है कि उनके पास विधानसभा में बहुमत बरकरार है। इसको लेकर वे लगातार राज्यपाल से विधानसभा सत्र बुलाने की मांग कर रहे थे। लेकिन, राज्यपाल ने उनके प्रस्ताव में कुछ बिंदुओं पर सफाई मांगी था। इसके जवाब में गहलोत ने कैबिनेट की बैठक के बाद संशोधित प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा था।