भोपाल ! पुलिस और वन विभाग के अधिकारीयों द्वारा आदिवासियों और अन्य गरीबों को प्रताडि़त करना और उनकी शिकायत पर थाने में आई आर दर्ज न होना तथा बेवजह उन्हें गिरफ्तार करने पर श्रमिक आदिवासी संगठन की ओर से दायर जनहित याचिका पर स्थाई हल के लिए उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर शिकायत निवारण प्राधिकरण आयोग गठित की गई थी। जिसे भारत के प्रत्येक आदिवासी इलाकों में लागू किया जाना था। लेकिन सरकार की ओर से आगे इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया। संगठन की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति एच. एल. दत्तू एवं अरुण मिश्रा की खंडपीठ ने मध्यप्रदेश सरकार से पूछा, कि जब शिकायत निवारण प्राधिकरण के अध्यक्ष की समस्या सरकार नहीं निपटा रही है . उनके भत्ते सरकार नहीं दे रही है, तो इस स्थिति में प्राधिकरण आदिवासियों कि समस्याएं क्या निपटायेगा। न्यायालय ने सरकार से अगले एक हफ्ते में आयोग के अध्यक्षों का सारे बकाया भुगतान करने और मानदेय दो हजार प्रतिमाह से 20 हजार प्रतिमाह करने के सम्बन्ध में जवाब देने को कहा है। याचिकाकर्ता श्रमिक आदिवासी संगठन की कार्यकर्ता और वर्तमान में टाटा सामजिक विज्ञान संस्थान, मुंबई में सहायक प्रध्यापक शमीम मोदी की जनहित याचिका पर पैरवी करते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और सहायक वकील प्योली ने उच्चतम न्यायालय को बताया, कि उनके आदेश पर मध्यप्रदेश् शासन ने बैतूल, हरदा और खंडवा जिले में जो शिकायत निवारण प्राधिकरण स्थापित की थी, वह भी सरकार की उपेक्षा के चलते निष्क्रिय हो गई है। बैतूल और खंडवा जिले के फोरम के अध्यक्षों ने इस सम्बन्ध में सीधे उच्चतम न्यायालय को पत्र लिखकर शिकायत भी की थी, कि याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया, कि आयोग के पास एक टायपिस्ट, फोन और डाक भेजने के लिए रुपये तक नहीं है। दो हजार रुपए के मानदेय में एक सेवानिवृत न्यायाधीश से काम लेना असंभव है।
उल्लेखनीय है, कि श्रमिक आदिवासी संगठन, मध्य प्रदेश के बैतूल, हरदा एवं खंडवा जिले में लम्बे समय से पुलिस, वन एवं अन्य विभाग के अधिकारियों द्वारा किये गये भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाता रहा है। वर्ष 2011 में दायर याचिका के अंतर्गत अपने प्रारंभिक आदेश द्वारा उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति डीके जैन एवं न्यायमूर्ति मदन लोकुर की खण्डपीठ ने मध्य प्रदेश शासन को निर्देश दिए थे, कि बैतूल, हरदा एवं खंडवा जिलों में जिला स्तरीय शिकायत निवारण प्राधिकरण का गठन करे तथा इस आशय की अधिसूचना राज्य शासन 31 अगस्त 2012 तक जारी करें।

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