भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली रवाना हो गए हैं। बताया जा रहा है कि उनके पास मंत्रिमंडल की लिस्ट है। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा से मिलने के बाद मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण की तारीख घोषित कर दी जाएगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि यह तारीख 30 जून 2020 होगी और मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री लालजी टंडन की अनुपस्थिति में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन नए मंत्रियों को शपथ दिलाने भोपाल आएंगी।
ऑफिशियल लिस्ट लीक नहीं हुई है परंतु भारतीय जनता पार्टी के पंडितों का मानना है कि श्री मोहन यादव, श्री प्रेम सिंह पटेल, श्री अरविंद भदौरिया एवं श्री चेतन कश्यप को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो यह चारों मध्य प्रदेश के मंत्रिमंडल में नया चेहरा होंगे। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायकों में से गोपाल भार्गव, विजय शाह, गौरीशंकर बिसेन, यशोधरा राजे, राजेंद्र शुक्ला, रामपाल सिंह और भूपेंद्र सिंह ठाकुर को सूची में शामिल किया गया है। भोपाल से विश्वास सारंग, इंदौर से रमेश मेंदोला, मालिनी गौड़ के नामों की भी चर्चा है।
इधर, पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख और संघ की ओर से मध्यप्रदेश के पालक अधिकारी बनाए गए अरुण कुमार और क्षेत्रीय प्रचारक दीपक विस्पुते को जानकारी दे दी है। साथ ही संभावित नामों की सूची भी तैयार कर ली। मुख्यमंत्री और पार्टी की ओर से संकेत हैं कि दिल्ली में सीनियर नेताओं से मुलाकात के बाद 30 जून को मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है।
शनिवार को देर शाम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत के बीच भी बात हुई। इसके बाद ये नेता मंत्रालय में मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे। इनके बीच देर रात तक मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर दिल्ली के सामने रखे जाने वाले पक्ष पर चर्चा हुई। मंत्रिमंडल विस्तार मई के आखिर और जून के पहले सप्ताह में संभावित था, जिसमें पहले ही देरी हो चुकी है, लेकिन अब अगले महीने मानसून सत्र होना है, ऐसे में संवैधानिक रूप से मंत्रिमंडल विस्तार करने जरूरी हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील और सांसद विवेक तन्खा का कहना है कि बिना कैबिनेट के बजट का अनुमोदन नहीं हो पाएगा। संविधान के अनुच्छेद 164 (1ए) के अनुसार मंत्रिमंडल में कम से कम 12 मंत्रियों का होना जरूरी है, लेकिन मुख्यमंत्री को आपातकालीन शक्तियां भी मिली हैं। संसदीय मामलों के जानकार सुभाष कश्यप का कहना है कि अभी मुख्यमंत्री के साथ पांच मंत्री हैं। मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे कम से कम 12 मंत्री बनाएं, लेकिन बजट के अनुमोदन का जहां तक प्रश्न है तो यह गैर संवैधानिक नहीं है। पांच मंत्रियों के साथ भी यह हो सकता है। बात सिर्फ औचित्य की है, इसलिए मंत्रिमंडल विस्तार होना चाहिए।
मंत्रिमंडल में चार से पांच पद खाली रखने पर प्रदेश स्तर पर सहमति बन गई है। बसपा से संजीव कुशवाह और निर्दलीय प्रदीप जायसवाल को भी मंत्रिमंडल में लिए जाने पर विचार हुआ, लेकिन यह दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार तक टल सकता है। हालांकि इसका निर्णय भी केंद्र को लेना है। अभी मुख्यमंत्री और पांच मंत्री मिलाकर छह हैं, जबकि कैबिनेट में मुख्यमंत्री को मिलाकर ज्यादा से ज्यादा 35 संख्या हो सकती है।
भोपाल से विश्वास सारंग, रामेश्वर शर्मा। इंदौर से रमेश मेंदोला और मालिनी गौड़ में से कोई एक। संजय पाठक, अजय विश्नोई, नागेंद्र सिंह नागोद, जगदीश देवड़ा, बृजेंद्र सिंह, हरिशंकर खटीक के भी नाम। कांग्रेस से भाजपा में आए महेंद्र सिंह सिसोदिया, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, प्रभुराम चौधरी, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, एंदल सिंह कंसाना, हरदीप डंग, रणवीर जाटव और बिसाहूलाल सिंह के भी नाम सूची में हैं। उज्जैन से पारस जैन, रायसेन से सुरेंद्र पटवा, करण सिंह वर्मा और जालम सिंह पटेल पर प्रदेश में सहमति नहीं, दिल्ली पर छोड़ा निर्णय।