ग्वालियर। मप्र हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद प्रदेश के जिन जिलों में ठेकेदारों ने शराब दुकानों के लायसेंस सरेंडर कर दिए हैं,वहां पर अब राज्य सरकार ने ही आबकारी विभाग द्वारा शराब दुकानें खुलवा दी गर्इं हैं।
स्टॉफ की कमी के बजह से भोपाल,इंदौर,जबलपुर,ग्वालियर सहित अन्य जिलों में अभी पूरी शराब दुकानें तो नहीं खुली हैं,मगर विभाग के पास जितना स्टॉफ उपलब्ध है,उनसे ही शराबि बिक्री शुरू करा दी है।
खास बात यह है कि सरकारी शराब दुकानों पर भी शराब की कीमत अलग-अलग है। भोपाल,इंदौर महानगर की तुलना में ग्वालियर और जबलपुर में महंगी शराब बेची जा रही है। हालांकि विभागीय अधिकारी यह बोल रहे हैं कि शासन ने अलग-अलग ब्रांड की शराब की जो कीमत निर्धारित की है,उसी एमएसपी और एमआरपी के बीच की दरों में शराब बेच रहे हैं।
मगर शराब दुकानों पर सुराप्रेमियों से अलग-अलग दाम वसूले जा रहे हैं। राजधानी भोपाल तुलना में ग्वालियर और जबलपुर में बीस फीसदी तक शराब के दामों में अंतर देखा गया है। इसके पीछे विभागीय अधिकारी बता रहे हैं कि हो सकता है कि जहां शराब की कीमत अधिक है,वहां पर वेट सहित दस फीसदी कोरोना सेस भी एमएसपी में जोड़ दिया होगा। हालांकि अभी शराब पर कोरोना सेस लगाने संबंधी विभाग ने आदेश जारी नहीं किया है।
नए वित्तीय वर्ष में मंहगे ठेके होने और कोरोना के कारण बढ़े टैक्स के बोझ से शराब के दामों में आई तेजी के साथ जबलपुर में तो कई क्षेत्रों में इसके रेट भी अलग-अलग हैं। यहां हर 200-250 मीटर के दायरे में स्थित दुकानों पर शराब के दाम 10 से 20 प्रतिशत तक ऊपर-नीचे हैं। ऐसे में आबकारी विभाग के स्टाफ के साथ अक्सर विवाद की स्थिति बन रही है।