मिजाजीलाल जैन

भोपाल। मध्यप्रदेश में जब किसी जिले के हालात बेकावू हो जाते हैं तब होनहार पुलिस अधीक्षक मनोज सिंह उन हालातों पर आसानी से सफलता पा लेते है। हालातों पर काबू पाने में महारत रखने वाले मनोज सिंह को अब भिण्ड पुलिस कप्तान की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मध्यप्रदेश के मंदसौर में जब किसान आंदोलन के दौरान किसानों की मौत हुई थी तब मंदसौर के हालात बेकावू हो गए थे। मंदसौर में कफ्र्यू लगाना पडा था। बेकावू हालात को काबू करने के लिए मनोज सिंह की सरकार ने मंदसौर की कमान सौंपी थी उसका नतीजा ये हुआ कि चंद दिनों में ही पुलिस अधीक्षक मनोज सिंह ने बिगडे हालात पर काबू ही नहीं पाया बल्कि किसानों को शांत कर उनका दिल जीत लिया। और बिगडे हालात पर काबू करने में बखूवी सफलता पाई।

भिण्ड जिले में रेत माफिया भिण्ड पुलिस पर पूरी तरह हावी है। भिण्ड के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक नगेन्द्र सिंह ने यह बात बायरलैस सेट पर अपने अधीनस्थों व थाना प्रभारियों से बातचीत में यह बात स्वीकार कर ली है कि भिण्ड में पुलिसिंग खत्म हो गई है। भिण्ड पुलिस मुख्यालय के डीएसपी सतीश दुबे ने यह बात स्वीकार की, कि भिण्ड जिले के थाना प्रभारी भिण्ड एसपी को अपना अधिकारी नहीं मानते। जिले के थाना प्रभारी सांसद, विधायक व पत्रकारों को अपना पुलिस कप्तान मानते है। उन्होंने तो अपने अधीनस्थों पर यह भी आरोप लगा दिया कि पुलिस के नए आए उपनिरीक्षक भ्रष्ट है। भिण्ड के हालात बिगड गए और पुलिस अधीक्षक नगेन्द्र सिंह अपने अधीनस्थों पर काबू नहीं पा सके तब चंबलरेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक राजेश हिंगणकर ने स्वयं भिण्ड की कमान संहाली। उन्होंने 3 बार भिण्ड आकर रेत माफिया द्वारा एकत्रित किया गया रेत को जप्त किया तथा रेत माफिया को संरक्षण देने वाले थाना प्रभारियों सहित एक दर्जन के करीबन पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ बडी कार्रवाई की।

भिण्ड में पुलिस एकदम बेकावू हो गई है। कोई भी एक दूसरे की सुनने व मानने को तैयार नहीं है। ऐसे बिगडे हालात को देखते हुए प्रदेश सरकार ने एक बार फिर आईपीएस मनोज सिंह को भिण्ड की जिम्मेदारी सौंपी है। मनोज सिंह भिण्ड के लिए नए नहीं है। वह तीसरी बार भिण्ड आ रहे है। मनोज सिंह भिण्ड में नगर पुलिस अधीक्षक रहे उसके बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर भी अपनी सेवाएं दे चुके है। चंबल में जब दस्युओं का आतंक था। उत्तरप्रदेश की सीमा से लगा हुआ भिण्ड जिला जहां दस्युओं का आतंक था। शाम ढलते ही बाजार बंद हो जाते थे तब मनोज सिंह ने तब के पुलिस कप्तान राजाबाबू सिंह के साथ मिलकर दस्युओं से मुकाबला कर उनको मार गिराने में सफलताएं पाई थी। मनोज सिंह भिण्ड में किसी भी पद पर रहे लेकिन अधिकारियों से मिले निर्देशों का पालन कर हर समस्या का समाधान कानून के दायरे में रहकर किया।

मध्यप्रदेश पुलिस में मनोज सिंह को कोई भी जिम्मेदारी दी जाए उसे बखूवी निभाकर कानून के दायरे में रहकर उसे सफलता पूर्वक पूरी करते है। मनोज सिंह कहते हैं मैं कानून का रक्षक हूॅ, सरकार जो भी काम सौंपेगी उसको अंजाम तक पहुंचाना उनकी जिम्मेदारी है। जिले में सभी सुरक्षित रहे, व्यापारी निर्भय होकर अपना व्यापार करें। मनोज सिंह जब पहली बार भिण्ड आए तो उनको नगर पुलिस अधीक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गई। तब भिण्ड शहर में व्यापारी बदमाशों से काफी भयभीत था। शाम ढलते ही बाजार बंद हो जाता था। शहरी बदमाश शहर में दिन दहाडे गांली चलाकर व्यापारियों से चैथ बसूली करते थे। व्यापारियों में इतना भय था कि तमाम व्यापारी तो भिण्ड शहर छोडकर इंदौर, ग्वालियर, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान चले गए। भिण्ड से व्यापारियों का पलायन जारी था तब मनोज सिंह ने शहरी बदमाशों को पकडा और उनका शहर में जुलूस निकालकर उन बदमाशों को बताया कि कानून से बडा कोई नहीं। अच्छे-अच्छे बदमाश पुलिस की कार्रवाई से तब भिण्ड छोड गए थे जो आज तक वापस नहीं लौटे है।

      मनोज सिंह अब फिर भिण्ड आ रहे है। अब की बार उनको सरकार ने रेत माफिया व पुलिस में आपस में चल रही लडाई से भिण्ड से निजात दिलाना है। मनोज सिंह पुलिस में ऐसे अधिकारी है जो कठिन परिस्थितियों में बडी से बडी समस्याओं को हल करने में महारत रखते है। पुलिस आरक्षक से लेकर पुलिस अधिकारी तक की जिम्मेदारी है कि वह कानून से खिलवाड करने वालों को कानून के हवाले करे।

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