भोपाल. विश्वव्यापी महामारी कोरोना को मध्य प्रदेश सरकार ने आपदा घोषित किया है. आपदा के तहत सभी जिला कलेक्टरों को अधिकार था की जरूरत अनुसार खर्च कर सकते हैं. लेकिन दो महीने बाद इस आदेश में थोड़ा बदलाव किया गया है. जिलों में मास्क और पीपीई किट की खरीदी पर रोक लगा दी गई है. अब कॉर्पोरेशन से ही कोरोना संबंधित जरूरत के सामानों की सप्लाई की जाएगी.
कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए जिला प्रशासन जरूरत के हर कदम उठा रहा है. जरूरत पड़ने पर पूरी मुस्तैदी के साथ लोगों के बीच कोरोना से बचने के तमाम उपाय लगा रहा है. इससे पूर्व दो महीने पहले जिला कलेक्टर्स, जिला स्वास्थ्य समितियों के साथ ही सीएमएचओ, सिविल सर्जन को 10 लाख तक की खरीदी के अधिकार दिए गए थे. सभी को अधिकार थे की इमरजेंसी में कोई लापरवाही ना बरती जाए बल्कि. इसके साथ ही मेडिकल कॉलेजों के डीन को भी खरीदी के लिए छूट दी गई थी. लेकिन अब दो महीने बाद अब स्वास्थ्य विभाग ने जिलों में खरीदी के आदेशों को निरस्त कर दिया. अब जिलों में खरीदी पर रोक लगा दी गई है क्योंकि अब हेल्थ कॉर्पोरेशन के जरिए जिलों में सामग्री की सप्लाई की जाएगी.
स्वास्थ्य विभाग ने 27 मार्च को जारी आदेश में सभी जिलों के कलेक्टर्स, सीएमएचओ, सिविल सर्जन के साथ ही मेडिकल कॉलेजों के डीन को मास्क, पीपीई किट सहित जरूरी कोरोना प्रोडक्टस की खरीदी के अधिकार दिए थे. इसके पीछे की वजह ये थी कि हेल्थ कॉर्पोरेशन को लॉकडाउन के कारण कंपनियां प्रोडक्ट सप्लाई नहीं कर पा रहीं थीं और ना ही केन्द्र की तरफ से इस संबंध में कोई मदद मिल पा रही थी. अब खरीदी के अधिकारों वाले तीन आदेशों को निरस्त कर दिया गया है. अब हेल्थ कॉर्पोरेशन से सामग्री डिमांड के आधार पर सप्लाई की जाएगी. नए जारी किए आदेशानुसार जिलों में अब कुल बजट के 20 फीसदी राशि से ही लोकल लेवल पर खरीदारी की जा सकेगी.
पीपीई किट का खर्च अब केन्द्र सरकार उठा रही है और वही प्रदेश को किट भेज रही है. इसके पहले भोपाल में 200 से 300 रुपए के बीच की दर पर लगभग डेढ़ लाख किट प्राइवेट कंपनी राजधानी में सप्लाई करती थी. अब केन्द्र सरकार 20 हजार किट रोजाना भेज रही है. नए आदेश अनुसार अब जिले के बजट का सिर्फ 20 फीसदी ही लोकल परचेजिंग पर खर्च है सकेगा.