भीलवाड़ा। कोरोना वायरस जहां लगातार लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है । वहीं इसके कई विपरित परिणाम प्रदेश में देखने को मिल रहे हैं। भीलवाड़ा में एक ऐसी घटना सामने आई है, जहां कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते एक परिवार ने अपनी चार माह ही बच्ची के अंतिम संस्कार से ही दूरी बना ली है। मामला भीलवाड़ा ज़िले के करेड़ा उप खंड के चावड़ियाँ गांव का है। यहां एक 4 माह की मासूम बालिका की स्वभाविक मौत के बावजूद भी परिजनों ने अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया। जिसके बाद एसडीएम ने स्वंय घर पर जाकर शव को शमशान घाट पहुंचाया। साथ ही इसके बाद स्वंय ने ही गढ्ढा खोदकर बालिका का अंतिम संस्कार किया।
जानकारी के अनुसार चावण्डिया ग्राम में सुरेश कुमावत और उनका परिवार मुम्बई से आया था, जिन्हें करेडा़ के क्वारंटीन सेन्टर में रखकर सैंम्पल लिये गये थे। सुरेश का सैम्पल पॉजिटिव आने पर उसे भीलवाड़ा के जिला अस्पाताल में भर्ती करवाया गया। इसके साथ ही 4 माह की मासूम बच्ची यशोदा सहित बाकी परिजनों को होम क्वारंटीन के लिए घर भेज दिया था। मगर यशोदा की कल तबियत खराब होने पर स्थानीय चिकित्सालय में उपचार के दौरान मौत हो गयी।
बताया जा रहा है कि यशोदा की मौत हो जाने के बाद शव को एक दिन बीत जाने के तक भी परिजनों ने कोरोना के डर से हाथ तक नहीं लगाया। इस संबंध में जब सूचना सूचना माण्डल के उपखण्ड मजिस्ट्रेट महिपाल सिंह को मिली, तो वह वहां मिलने पहुंचे, इस दौरान उन्होंने परिजनों से खूब समझाइश की , लेकिन परिजनों के इंकार के बाद खुद बालिका के शव को शमशान घाट ले गये और उसका अंतिम संस्कार किया।
माण्डल के ब्लॉक सी एम एच ओ डाक्टर प्रभाकर ने बताया कि बालिका यशोदा की तबियत ख़राब होने की सूचना मिलने पर मैंने गाड़ी भेज उसे अस्पताल में भर्ती करवाया था मगर उसे बचाया नही जा सका है।