भोपाल. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में लॉकडाउन (Lockdown 3.0) के चलते बंद शराब की दुकानें सरकार के लिए नुकसान का सौदा बन गई हैं. दरअसल, पेट्रोल और डीजल के बाद शराब सरकार के लिए दूसरा बड़ा आय का जरिया है. शराब से सरकार को हर महीने करोड़ों रुपए कर राजस्व मिलता है. इस बार लॉकडाउन के चलते शराब की बिक्री पर लगी रोक के कारण सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है. आंकड़ों पर नजर डालें तो मार्च 2020 का लक्ष्य 1995 करोड़ सरकार ने तय किया था, लेकिन प्राप्ति 1342 करोड़ की हुई, मतलब 653 करोड़ का नुकसान.

वहीं अप्रैल 2020 में 1150 करोड़ का लक्ष्य था, 121 करोड़ हासिल हुए, मतलब 1029 करोड़ का नुकसान. शराब की बिक्री पर लगने वाले कुल वेट के नुकसान का आकलन करें तो सरकार का लक्ष्य 118.69 करोड़ का था जो कि जीरो रहा. इस तरीके से सरकार को 118.69 करोड़ का नुकसान हुआ. अगर कुल लक्ष्य पर नजर डालें तो 3263.69 करोड़ का टारगेट सरकार ने तय किया था, जिसमें से सरकार को 1463 करोड़ ही मिले, जबकि 1800.69 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा.

मार्च 2020 में कोविड-19 संक्रमण के कारण शराब की दुकानें बंद रखने और आबकारी ठेके 31 मार्च 2020 में पूरे नहीं होने के कारण सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है. अप्रैल 2020 में शराब की दुकानें बंद होने के कारण यह नुकसान करोड़ों में जा पहुंचा है. ऐसे में सरकार चाहती है कि सरकारी खजाने को भरने के लिए शराब की दुकानों को खोला जाए. लेकिन अब इस पूरे मामले को लेकर शराब ठेकेदार विरोध में उतर आए हैं और अब यह पूरा मामला कोर्ट में जा पहुंचा है. ऐसे में अगर शराब की दुकानें नहीं खुलती हैं तो सरकार का यह करोड़ों का घाटा और ऊपर जा सकता है जिससे उबरना फिलहाल सरकार के लिए आसान नहीं होगा.

एक तरफ जहां पेट्रोल और डीजल की बिक्री नहीं होने पर सरकार को वैट टैक्स का फायदा नहीं मिल रहा है. वहीं दूसरी तरफ शराब दुकानें बंद होने पर यह घाटा डबल हो गया है. ऐसे में सरकार की मंशा है कि शराब की दुकानों को धीरे-धीरे कर खोला जाए. लेकिन शराब ठेकेदार अपनी ड्यूटी को माफ करवाने की मांग कर रहे हैं और पीने वालों को इन दोनों के बीच की तकरार का नुकसान हो रहा है. तो वहीं शराबबंदी के पक्ष लेने वाले लोग इसका स्वागत कर रहे हैं.

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