नई दिल्ली। लॉकडाउन को महीना भर हो गया! कई जिंदगियां गुजर गईं। कुछ भूख से, तो कुछ जानलेवा कोरोना वायरस से। इस वायरस ने दुनिया भर में कहर बरपा रखा है, जिंदगी बेहद मुश्किल कर दी है, खासतौर पर रोज कमाने और खाने वालों की। लॉकडाउन के कारण लाखों बेघर-मजदूरों का जीवन तबाह हो गया। ना उन्हें काम मिल पा रहा है और ना दो वक्त की रोटी। हालांकि, कई मददगार इंसान इनकी सहायता कर रहे हैं। ऐसा ही काम कर रहे हैं कर्नाटक के कोलार शहर के तजामुल और मुजम्मिल पाशा। इन भाइयों ने इस संकट में लोगों का पेट भरने के लिए अपनी जमीन तक बेच दी।
रिपोर्ट के मुताबिक, 25 लाख जुटाने के बाद इन भाइयों ने दोस्तों का एक नेटवर्क बनाया और थोक में राशन व सब्जियां जुटाकर अपने घरों में इकट्ठा कर लिया। इसके बाद उन्होंने राशन के पैकेट बनाए, जिसमें 10 किलो चावल, 1 किलो आटा, 2 किलो गेहूं, 1 किलो चीनी, तेल, चाय पत्ती, मसाले, हैंड सैनिटाइजर और फेस मास्क रखे गए।
इतना ही नहीं, उन्होंने अपने घर के पास एक टेंट भी लगाया, जिसमें कम्युनिटी किचन शुरू किया। ताकि जो घर में खाना नहीं बना सकते, उन्हें भी भूखा ना रहना पड़े। खास बात यह है कि तजामुल और मुजम्मिल की इस पहल को पुलिस की भी मदद मिली। उनके साथियों को पुलिस द्वारा पास जारी किए गए जिसके जरिए वे बाइक पर लोगों तक जरूरी सामान पहुंचा सकें।
Deccanherald को तजामुल ने बताया कि जब वह 8 साल के और मुजम्मिल 5 साल का था, तो उनके माता-पिता गुजर गए। इसके बाद वे दादी के साथ कोलार आ गए। पैसों की कमी के कारण वे चौथी क्लास से आगे नहीं पढ़ सके। बता दे, वे अब तक कोलार में 2800 परिवारों के 12 हजार लोगों की मदद पहुंचा चुके हैं।
तजामुल ने बताया, ‘इस दौर में एक नेक इंसान उन्हें मस्जिद के करीब घर दे दिया। हिंदू, मुस्लिम, एक सिख परिवार व कई अन्य लोग उन दिनों हमें खाना देते थे। धर्म और जाति हमारे लिए कभी बाधा नहीं बना। हमें मानवता साथ लाई और अब भी हम मानवता के लिए काम कर रहे हैं। उन दिनों ने हमें रोटी की कीमत बताई थी।’