भोपाल। कोरोना महामारी के संकट से निपटने के साथ ही जरूरतमंदों को राहत पहुँचाने के लिए भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार ने जो मुस्तैदी दिखाई है उसने लोगों में कोरोना के विरूद्ध युद्ध में लड़ने की न केवल क्षमता विकसित की है बल्कि उनके हौसले भी बुलंद हुए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना के संक्रमण की रोकथाम और लॉकडाउन और अन्य पाबंदियों की वजह से प्रभावित और जरूरतमंद लोगों को राहत पहुँचाने के दोनों अहम मोर्चों पर अपने एक माह से भी कम के कार्यकाल में बराबरी के साथ चाक-चौबंद व्यवस्था की है। इससे जहाँ एक ओर संक्रमण को फैलने से रोका जा सका, वहीं किसान, मजदूर, छात्र और बाहर के क्षेत्रों में रह रहे मध्यप्रदेश के रहवासियों के लिए राहत के बड़े ऐलान किए जिससे इस विभीषिका से लड़ने की लोगों में हिम्मत आई और अब वे महामारी से उत्पन्न संकट से उबरने भी लगे हैं।
यह वह समय है जब अन्नदाता किसानों की फसलें खेतों-खलिहानों में पड़ी है। उनकी उपज की खरीदी हो। महामारी के इस दौर में किसानों को उनकी मेहनत का, उनकी उपज का दाम मिले, इसकी व्यवस्था एक चुनौती है। मुख्यमंत्री ने इस मोर्चे पर ऐसी व्यवस्थाएँ की हैं, जिससे किसानों की उपज की खरीदी हो और उन्हें उसका भुगतान भी मिले। कृषि उपज मंडियों में भीड़ न हो इसलिए निजी खरीदी केन्द्र भी शुरू किए गए हैं। खरीदी केन्द्रों में किसानों के लिये भी पर्याप्त स्थान इस तरह निर्धारित किया गया है ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके और किसान कोरोना के संक्रमण से बच सके। निजी खरीदी केन्द्र के लिये कोई भी व्यक्ति, फर्म, संस्था अथवा प्र-संस्करण कर्ता संबंधित मंडी से 500 रूपये देकर अनुमति ले सकता है। यदि कोई मंडी का लायसेंसी है तो उसे अलग से प्रतिभूति जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। किसानों को यह भी सुविधा दी गई है कि अगर वे अपनी फसल मंडी में नहीं ला सकते तो वे उपज का नमूना मंडी में लाकर उसके आधार पर घोष विक्रय करा सके। किसान अगर चाहे तो वे व्यापारी के साथ आपसी सहमति से मंडी के बाहर भी उपज का क्रय-विक्रय कर सकते हैं। इसका रिकार्ड कृषि उपज मंडी द्वारा संधारित किया जायेगा और व्यापारी द्वारा किसान को भुगतान करने के बाद उपज का परिवहन किया जायेगा। किसानों को ऑनलाइन उपज बेचने का भी विकल्प दिया गया है। ई-नाम पोर्टल पर किसान अपना पंजीयन कराकर उपज की फोटो और गुणवत्ता की जानकारी अपलोड करेंगे तो उनकी उपज का क्रय किया जा सकेगा। इसके अलावा किसान रजिस्टर्ड एफपीओ के माध्यम से भी अपनी उपज की जानकारी भेजकर विक्रय कर सकते हैं। किसानों को अपनी उपज बेचने का एक ओर माध्यम सरकार ने उपलब्ध कराया है वह है किसान सेवा सहकारी समिति। इसके लिये मार्कफेड एग्री बाजार मॉडल तैयार किया गया है।
किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण देने की सुविधा दी जायेगी। पूर्व सरकार द्वारा इसे बन्द करने पर विचार किया जा रहा था। पूर्व वर्षों में संचालित इस फसल ऋण योजना को 2020-2021 में भी जारी रखा जायेगा। सरकार ने एक और महत्वर्पूण निर्णय लिया कि वर्ष 2018-19 में शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर जिन किसानों ने ऋण लिया था उनके भुगतान की तारीख 28 मार्च से बढ़ाकर 31 मई 2020 कर दी गई है।
कोरोना महामारी के संकंट के इस दौर में हर जरूरतमंद को राहत देने के लिये सरकार की कोशिशें काबिले तारीफ हैं। राज्य के गरीब परिवारों को एक माह का राशन नि:शुल्क दिया जा रहा है। सहरिया, बैगा और भारिया जनजाति के परिवारों को दी जाने वाली सहायता राशि 2 माह एडवांस में दी गई है। मकान मालिकों से कहा गया है कि वे फिलहाल किरायेदारों से किराया न लें। फेक्ट्री श्रमिकों को भी वेतन और मानदेय देने के निर्देश दिये गये हैं। पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के खातों में 88 करोड़ 50 लाख 89 हजार रूपये की आपदा राशि ट्रांसफर की गई। इससे 8 लाख 85 हजार 89 श्रमिकों को एक-एक हजार रूपये मिले। शासकीय और अशासकीय शालाओं में कक्षा एक से कक्षा 12वीं तक अध्ययनरत 52 लाख विद्यार्थियों के खातों में विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं की 430 करोड़ रूपये से अधिक की राशि ऑनलाइन ट्रांसफर की गई। मध्यांन्ह भोजन योजना में 66 लाख 27 हजार विद्यार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ते के रूप में 117 करोड़ रूपये की राशि उनके अभिभावकों के खातों में अंतरित की गई। प्राथमिक शालाओं में दर्ज विद्यार्थियों की संख्या 40 लाख 29 हजार 464 है। इन विद्यार्थियों को 148 रूपये प्रति विद्यार्थी के मान से भोजन की राशि दी गई। इसी तरह माध्यमिक शालाओं में दर्ज विद्यार्थियों की कुल संख्या 25 लाख 98 हजार 497 है, जिन्हें 221 रूपये प्रति विद्यार्थी के मान से राशि दी गई। समेकित छात्रवृत्ति योजना में प्रदेश के 52 लाख विद्यार्थियों के खातों में 430 करोड़ रूपये की राशि जमा कराई गई। मध्यान्ह भोजन योजना में 2 लाख 10 हजार 154 रसोइयों को उनके मानदेय की कुल राशि 42 करोड़ 3 लाख 8 हजार रूपये प्रति रसोइया 2000 हजार के मान से उनके खातों में जमा कराई गई।
कोरोना महामारी के कारण अनुसूचित जाति एवं जनजाति बहुल क्षेत्रों में स्थित स्कूल फरवरी में ही बंद हो गए थे। इन्हीं स्कूलों में पदस्थ अतिथि िशक्षकों के वेतन का भुगतान अप्रैल माह तक कर दिया गया है। कुपोषण से मुक्ति के लिये आहार अनुदान योजना में प्रतिमाह एक हजार रूपये के मान से 2 महीने का अग्रिम भुगतान किया गया है। यह राशि विशेष पिछड़ी जनजाति की विवाहित महिलाओं के खाते में भेजी गई है। आने वाले प्रवासी लोगों को क्वारेंटाईन करने केसभी आवासीय स्कूल और छात्रावास भवन लिये खोले गये हैं। लॉकडाउन के कारण अन्य राज्यों में फँसे प्रदेश के मजदूरों के खाते में भी एक हजार रूपये ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया है।
मध्यप्रदेश में लॉकडाउन के कारण 22 राज्यों के 7000 प्रवासी श्रमिक फँसे हुए हैं। सरकार ने इनकी भी चिंता की और 70 लाख रूपये की सहायता राशि उनके खातों में जमा करवाई। इन सभी प्रवासी श्रमिकों के खातों में एक-एक हजार रूपये की राशि उनकी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये भिजवाई गई। अन्य प्रदेशों के लगभग 12 हजार नागरिकों को सभी सुविधाएँ दी गई हैं।
लॉकडाउन के कारण मध्यप्रदेश के जो लोग विभिन्न राज्यों में हैं और फिलहाल प्रदेश में नहीं आ सकते उनको भी मदद देने की पहल सरकार ने की है। पिछले 28 दिनों में 17 हजार से अधिक बाहर के प्रदेशों में रह रहे लोगों द्वारा सम्पर्क किया गया। एक लाख 18 हजार मध्यप्रदेश के अन्य राज्यों में रह रहे लोगों से सम्पर्क उन्हें सभी सुविधाएँ राज्य स्तरीय कंट्रोल सेंटर के माध्यम से राज्य के 9 वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों द्वारा उपलब्ध करवाई गई।
कोरोना योद्धाओं जो लोगों को बचाने के लिये अपनी जान जोखिम में डालकर मैदान में हैं की चिंता करते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि उनके समर्पण, निष्ठा और अनूठी सेवा के लिये 10 हजार रूपये की राशि सेवा निधि के रूप में दी जायेगी। इनमें डॉक्टर, नर्स, वार्डबॉय और वे सभी कर्मचारी शामिल हैं, जो संक्रमित मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं। यह कोरोना वॉरियर्स को मध्यप्रदेश की जनता की ओर से सम्मान है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वास्थ्य कर्मियों के लिये 50 लाख रूपये तक का बीमा करने की घोषणा की है। मध्यप्रदेश सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर स्वास्थ्य विभाग के अलावा भी कोरोना संकट से लड़ने वाले सरकारी अमले को किसी अनहोनी होने पर 50 लाख रूपये की राशि देने का प्रावधान किया है। इसमें लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, आयुष विभाग के सभी सफाई कर्मचारी, वार्डबॉय, आशा कार्यकर्ता, पेरामेडिकल स्टाफ, टेकनीशियन, डॉक्टर्स, विशेषज्ञ तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं नगरीय प्रशासन के सभी सफाई कर्मचारियों को शामिल किया गया है। प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण की लड़ाई में सीधे रूप से लगे निजी चिकित्सकों एवं चिकित्सा कर्मियों का भी शासकीय चिकित्सा कर्मियों की तरह 50 लाख रूपये का बीमा कराया जायेगा। प्रदेश के लगभग एक लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को भी मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्ध कल्याण योजना का लाभ दिया जायेगा।
सरकार ने निर्णय लिया है कि लघु वनोपज उत्पादों को खरीदने का कार्य 25 अप्रैल से शुरू होगा। इसके लिये लघु उपज उत्पादों की प्राथमिक दरों के स्थान पर नई प्रस्तावित दर जारी की गई है। प्रत्येक संग्रहण एवं भण्डारण केन्द्र और गोदाम पर आवश्यक रूप से सेनेटाईजर और साबुन रखा जायेगा। यहाँ सभी संबंधित को आने और जाने के समय पर 20 सेंकड तक हाथ धोकर सेनेटाइज करना जरूरी है। वनोपज के संग्रहण आदि कार्यों में संलग्न कर्मचारी क्रेता और प्रतिनिधि, श्रमिक और ग्रामीण अनिवार्य रूप से चेहरे का मास्क, गमछा, रूमाल, दुपट्टे आदि से ढँक कर रखेंगे।
वर्तमान में खदानों की रॉयल्टी से अर्जित निधि का उपयोग स्थानीय विकास में किया जाता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्णय लिया है कि इस निधि का उपयोग कोरोना की रोकथाम में किया जाये। उन्होंने 8 करोड़ रूपये से अधिक के ऐसे प्रस्तावों को मंजूरी भी है।