मिजाजीलाल जैन
भोपाल। मध्यप्रदेश के इंदौर एवं भोपाल शहर में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। सिर्फ डॉक्टर हैं जो इन दो शहरों को बचा सकते हैं। डॉक्टरों का एक बड़ा वर्ग पूरी गंभीरता के साथ अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। शहर के चौराहे पर खड़े सिपाही से लेकर श्यामला हिल्स में बैठे मुख्यमंत्री तक हर कोई डॉक्टरों का धन्यवाद अदा कर रहा है परंतु डॉक्टरों की एक छोटी सी संख्या ऐसी भी है जो अपने कर्तव्य से मुकर रही है। मध्यप्रदेश में एस्मा लागू है। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने तय कर लिया है कि जो डॉक्टर जिम्मेदारी से भाग रहे हैं, उन्हें हिरासत में लिया जाएगा।
11 अप्रैल को सरकार ने आदेश जारी कर मेडिकल कॉलेज से पीजी कंप्लीट करने वाले स्टूडेंट्स को वहां तैनात करने का फैसला दिया था। विभाग ने 70 डॉक्टरों की ड्यूटी इंदौर में लगाई थी और सभी डॉक्टरों को कहा गया था कि वह इंदौर में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में अपनी ज्वानिंग देकर कोरोना वायरस को रोकने में अपना सहयोग दें, लेकिन 11 अप्रैल के आदेश के बाद अब तक मात्र एक डॉक्टर इंदौर में अपनी जॉइनिंग दी है, बाकी 69 डॉक्टर इंदौर जाने से बच रहे हैं।
कोरोना संक्रमण के मामले में इंदौर में डॉक्टरों के न जाने के कदम को अब विभाग ने गंभीरता से लिया है। स्वास्थ्य विभाग ने एक आदेश जारी कर अब उन सभी 69 डॉक्टरों को चेतावनी दी है कि अगले 48 घंटे में वे पहुंचकर अपनी जॉइनिंग दें वरना उनके खिलाफ एस्मा (आवश्यक सेवा प्रबंधन अधिनियम) के तहत कार्रवाई की जाएगी। साथ ही विभाग ने उन मेडिकल कॉलेजों को भी जानकारी देने को कहा है, जहां पीजी कंप्लीट कर चुके डॉ रेजिडेंट डॉक्टर के तौर पर काम कर रहे हैं। विभाग की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्य अमले को इंदौर में तैनात कर कोरोना को रोका जाए।
एस्मा लागू हो जाने के बाद कोई भी डॉक्टर ड्यूटी पर उपस्थित होने से इनकार नहीं कर सकता। कोई भी डॉक्टर इस्तीफा देकर सेवाएं समाप्त नहीं कर सकता। यदि डॉक्टर कर्तव्य पर उपस्थित नहीं होता तो उसे उसके घर या ठिकाने से हिरासत में लेकर कर्तव्य स्थल पर उपस्थित किया जा सकता है। डॉक्टर प्राइवेट है तो उसकी प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। डॉक्टर की डिग्री निरस्त करने के लिए कार्यवाही की जा सकती है। डॉक्टर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करके कोर्ट में पेश किया जा सकता है।