भोपाल | मध्य प्रदेश में बाढ़ से हालत बिगड़ने और हजारों लोगों के पानी के बीच फंस जाने के बाद सरकार की नींद खुली है और अब वह इससे निपटने के इंतजाम कर रही है।

राज्य में बीते एक सप्ताह से जोरदार बारिश का दौर जारी है। प्रमुख नदियों से लेकर नाले तक उफान पर हैं, आवागमन बाधित है और बांध पूरी तरह लबालब हैं। जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, बैतूल, कटनी आदि में कई दिनों से बाढ़ के हालात बने हुए हैं। इस बीच, प्रभावितों को उनके घरों से निकालकर राहत शिविर में रखा गया है। राज्य में भारी बारिश के बावजूद सरकार की ओर से सिर्फ निर्देश जारी किए जाते रहे, जिन पर संबंधित जिलों की ओर से सतर्कता बरतने की कारगर पहल नहीं की गई। यही कारण है कि बीते 24 घंटों के दौरान हजारों परिवार पानी से घिर गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी माना है कि होशंगाबाद व उसके आसपास के जिलों के 50 गांवों में 50 हजार लोग पानी में फंसे हैं। मौसम विभाग लगातार राज्य में भारी बारिश की चेतावनी देता रहा है, लेकिन प्रशासनिक अमले ने वह इंतजाम नहीं किए जिससे किसी विपरीत परिस्थिति से निपटा जा सके। सवाल उठ रहे हैं कि भारी बारिश की संभावना के बीच क्या प्रशासन ने नदियों के किनारे बसी बस्तियों और गांवों को सतर्क किया था और अगर बाढ़ के आसार थे तो उन्हें वहां से हटाया क्यों नहीं गया। राज्य में बाढ़ के हालात बनने के बाद मुख्यमंत्री चौहान ने दो दिन में तीन बार अधिकारियों के साथ बैठकें कर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए लेकिन तब तक काफी देरी हो चुकी थी। बांधों के द्वार खोले जाने से पानी नदियों में आया और नदियों का जलस्तर बढ़ने से निचली बस्तियां जलमग्न हो गई हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *