नई दिल्ली | दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को हुए सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों में से एक किशोर आरोपी पर फैसला पांच अगस्त तक के लिए सुरक्षित रख दिया गया है। किशोर न्याय बोर्ड 11 जुलाई को ही इस मामले का फैसला सुनाने वाला था लेकिन तब उसने गुरुवार तक फैसला सुरक्षित रख लिया था। किशोर न्याय बोर्ड के बचाव वकील राजेश तिवारी ने कहा कि दुष्कर्म की घटना में किशोर आरोपी शामिल था या नहीं, इस पर फैसला पांच अगस्त को सुनाया जाएगा।
दोषी पाए जाने पर आरोपी को अधिकतम तीन साल की सजा हो सकती है। इसमें मुकदमे की सुनवाई के दौरान जेल में काटी गई सजा भी शामिल है। इससे पहले मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी से कहा कि वह किशोर न्याय बोर्ड को सूचित कर दें कि स्वामी की वह याचिका स्वीकार कर ली गई है, जिसमें उन्होंने मांग की है कि गंभीर अपराध की स्थिति में आरोपी की उम्र सीमा उसके मानसिक और बौद्धिक स्तर से तय की जाए। सर्वोच्च न्यायालय को जब यह बताया गया था कि किशोर न्याय बोर्ड 25 जुलाई को किशोर अभियुक्त के मामले में फैसला सुनाने जा रहा है तो प्रधान न्यायाधीश पी. सतशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “आप उन्हें सूचित कर सकते हैं कि हमने मामला स्वीकार कर लिया है।” स्वामी ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि किशोर न्याय अधिनियम के उद्देश्यों में कहा गया है कि इसे एक बच्चे के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र संकल्पों के अनुसार लागू किया जा रहा है। लेकिन इस अधिनियम का जो संस्करण प्रभावी हुआ है, वह संक्षिप्त संस्करण है और इसमें किशोर आरोपी के मानसिक और बौद्धिक स्तर के बारे में कोई उल्लेख नहीं है।