ग्वालियर। इंसान केवल मेहनत से नहीं कमाता दान, धर्म, पुण्य और तपस्या से अमीर बनता है। मन की इच्छा पर संयम लाना ही तपस्या का मुख्य उद्देश्य है। जो लोग भी अपने आप को स्वस्थ और सुंदर बनाना चाहते हैं वे, तपस्या का आचरण करें।  उक्त उद्गार जैन राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने हरिशंकरपुर में धर्म शास्त्र चर्चा में व्यक्त किए। इस दौरान मुनिश्री विजयेश सागर महाराज एवं क्षुल्लक विश्वोत्तर महाराज मौजूद थे। 

मनुष्य को अपना जीवन पवित्रता और निष्ठा के साथ जीना चाहिए। शरीर की पवित्रता के साथ मन की पवित्रता भी बहुत ही जरूरी है। हमें अपने आस-पास के वातावरण को भी पवित्र रखना चाहिए। यह बात सिकंदर कंपू स्थित दानी की बगिया में चल रही भागवत कथा में पं. किशोर ठाकुर महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि शरीर और घर की पवित्रता हमें बीमारियों से बचाती है। वहीं मन की पवित्रता हमारा जीवन सफल बनाती है। जीवन में हमें कभी भी किसी के प्रति बुरे विचार नहीं लाने चाहिए।

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