भोपाल ! मध्य प्रदेश में कांग्रेस की नसरुल्लागंज सभा का नजारा पिछले कई वर्षो में आयोजित कार्यक्रम से जुदा था, क्योंकि रविवार को हुई इस सभा में राज्य के वे सारे दिग्गज एक साथ जमा थे, जिनकी पहचान गुटों के मुखिया के तौर पर रही है। यह 20 बरस बाद पहला ऐसा अवसर था जब राज्य के तमाम दिग्गज एक साथ एक मंच पर आए।
राज्य में कांग्रेस के भीतर बढ़ती गुटबाजी देख हमेशा से एक सवाल उठता रहता है कि क्या इस दल के नता कभी एक हो सकते हैं? जवाब हमेशा ‘न’ रहा है, मगर रविवार को यह जवाब ‘हां’ में बदलता दिखा, क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुधनी के नसरुल्लागंज में हुई शंखनाद सभा में पार्टी के सभी दिग्गज एक-दूसरे से गलबहियां करते नजर आए।
राज्य में कांग्रेस को एकजुट करने के लिए स्वर्गीय माधवराव सिंधिया ने वर्ष 1993 में डबरा में एक सम्मेलन आयोजित किया था, जिसमें तब के सभी दिग्गज नेताओं ने हिस्सा लिया था। यही कारण है कि डबरा सम्मेलन कांग्रेस की एकता का प्रतीक बन गया था। इसके बाद कांग्रेस सत्ता में आई और एक दशक तक उसने शासन किया, फिर सत्ता से बाहर हुई तो एक दशक से बाहर ही है। पिछले एक दशक से पार्टी के तमाम छोटे और बड़े नेता डबरा सम्मेलन की तर्ज पर सम्मेलन आयेाजित करने का जोर देते रहे मगर कोई दिली तौर पर राजी नहीं हुआ।
राज्य में कांग्रेस की पहचान ही गुट में बंटी पार्टी के तौर पर है। यहां कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह, केंद्रीय मंत्री कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेशाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया, सांसद सत्यव्रत चुतर्वेदी और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी के गुटों में बंटी हुई है। इन सभी को एक मंच पर लाना सभी के लिए चुनौती रहा है, यह बात पार्टी हाईकमान भी जानती है, मगर कोशिश सफल हुई और रविवार को नसरुल्लागंज के मंच पर वे एक साथ नजर आए।
कांग्रेस हाईकमान ने विधानसभा के पिछले दो चुनावों में मिली हार की वजह पार्टी में बढ़ती गुटबाजी को माना और पिछले दिनों राज्य के प्रवास पर आए पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सभी नेताओं को चेताया और हिदायतें दीं। इतना ही नहीं, उन्होंने राज्य का प्रभारी बदलते हुए मोहन प्रकाश को प्रभार सौंपा।
मोहन प्रकाश की कोशिशों और पार्टी हाईकमान तक पहुंची रिपोर्ट के बाद सभी को एक साथ एक मंच पर आने के निर्देश मिला। इतना ही नहीं, सभी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र में पहुंचकर एका दिखाने का फरमान हुआ। रविवार को पार्टी की शंखनाद सभा हुई और उसमें हाईकमान के निर्देश पर अमल भी हुआ।
नसरुल्लागंज की सभा में दिग्विजय सिंह हों या सिंधिया, सभी ने एक होने की बात कही। सिंह ने कहा कि कार्यकर्ता व नेता सभी एक हैं। वहीं सिंधिया का कहना था कि एक उंगली अकेले कोई काम नहीं कर पाती, मगर मुट्ठी बनने पर वह सफलता पा लेती है। अब कांग्रेस कार्यकर्ता मुट्ठी बन गए हैं, इसलिए भाजपा का सत्ता से बेदखल होना तय है।
राज्य में 20 साल पहले 1993 में डबरा में कांग्रेस की एकजुटता दिखाने का प्रयास एक बार फिर नसरुल्लागंज में हुआ है, यह एकता कब तक रहती है, इसको लेकर हर किसी के मन में सवाल है। इस एकजुटता के प्रदर्शन की वजह हालांकि कोई आसानी से समझ नहीं पा रहा है। चर्चा है कि यहां के नेता शायद गुटबाजी के नुकसान को जान गए हैं या हो सकता है, हाईकमान की सख्ती काम कर गई हो।

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