भोपाल। सिंधिया समर्थक विधायकों को वापस लेने बेंगलुरु गए मंत्री जीतू पटवारी और लाखन सिंह के साथ मारपीट हुई और उन्हें हिरासत में ले लिया गया है। यह जानकारी मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से आधिकारिक तौर पर दी गई। विवेक तंखा के साथ दिग्विजय सिंह और मंत्री पीसी शर्मा भी मौजूद थे।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में अचानक बुलाई गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विवेक तंखा ने बताया कि मध्य प्रदेश शासन के दो मंत्री जीतू पटवारी एवं लाखन सिंह के साथ कर्नाटक राज्य के बेंगलुरु में मारपीट की गई है एवं उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एवं जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा भी मौजूद थे। विवेक तंखा ने कहा कि यदि पुलिस आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती और हमारे मंत्रियों को तत्काल रिहा नहीं करती तो हम कोर्ट में जाएंगे।
याद दिला दें कि जीतू पटवारी बेंगलुरु से पहले दिल्ली में भी इसी तरह का एक ऑपरेशन करने गए थे। दिल्ली एनसीआर के अंतर्गत आने वाले हरियाणा राज्य के गुरुग्राम में स्थित एक पांच सितारा होटल में बसपा विधायक श्रीमती रामबाई के सहित चार विधायक मौजूद थे। जीतू पटवारी ने उन्हें अपने साथ ले जाने की कोशिश की। जहां उनके साथ हाथापाई हुई। बताया गया कि होटल के सुरक्षा गार्ड ने जीतू पटवारी को किसी भी प्रकार का वायलेंस करने से रोक दिया था।
मंत्री जीतू पटवारी कमलनाथ के काफी नजदीकी बताए जाते हैं। उनके दिग्विजय सिंह से भी काफी अच्छे संबंध है। गुरुग्राम का ऑपरेशन सफल होने के बाद कमलनाथ ने मंत्री जीतू पटवारी को मंत्री लाखन सिंह के साथ बेंगलुरु भेजा था। टारगेट था कम से कम 10 विधायकों को अपने साथ लेकर आना। सूत्रों का कहना है कि इसी प्रक्रिया के दौरान यह घटनाक्रम हुआ।
जीतू पटवारी और लाखन सिंह इस्तीफा दे चुके विधायक मनोज चौधरी के पिता नारायण चौधरी को लेकर बेंगलुरु गए थे। राज्यसभा सांसद तन्खा ने बताया कि मनोज चौधरी पर भाजपा ने दबाव बनाया हुआ है। उन्हें अपने पिता से मिलने तक नहीं दिया गया।
विवेक तन्खा ने कहा कि कांग्रेस विधायकों को अगवा कर और बंधक जैसा बनाकर दूसरे स्थान पर ले जाया गया है। विवेक तन्खा के अनुसार कहा कि जीतू पटवारी और नारायणसिंह चौधरी बेंगलुरु पहुंचे। वहां पता चला कि विधायक मनोज चौधरी वापस आना चाहते हैं। वहां जीतू पटवारी के साथ मारपीट की गई। हमें पता चला है कि विधायकों को गिरफ्तार कर लिया गया। विवेक तन्खा का आरोप है कि बेंगलुरु पुलिस यदि एक्शन नहीं लेती और विधायकों को मुक्त नहीं करती हो हमें न्यायालय की शरण लेनी पड़ेगी। हम चाहते तो हम मप्र हाईकोर्ट भी जा सकते थे लेकिन अब यह राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है।
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