भोपाल। मध्यप्रदेश की तेरहवीं विधानसभा का अंतिम सत्र आज हाई प्रोफाइल ड्रामा की भेंट चढ़ गया। कांग्रेस द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को उन्हीं के उपनेता प्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह ने ही सदन में हिट विकेट कर दिया। चौधरी ने अपनी पार्टी के ही अविश्वास प्रस्ताव पर अविश्वास जताते हुए अपना विरोध दर्ज कराया। इसके चलते कांग्रेस को सदन में अपनी इज्जत बचाना मुश्किल हो गया। इस पूरे घटनाक्रम की शुरूआत अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिये अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी द्वारा कार्यवाही शुरू करने की घोषणा करते ही हुई। श्री रोहाणी की बात पूरी होते ही उपनेता प्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह खड़े हो गए। उन्होंने यह कहते हुए सभी को चौंका दिया कि नेता प्रतिपक्ष द्वारा रखे गये अविश्वास प्रस्ताव का मैं विरोध करता हूं। इसमें जरूरी बिन्दुओं को शामिल नहीं किया गया है यह आधे-अधूरे मन से लाया गया है।
राकेश सिंह का कहना था कि उत्तराखंड में प्रदेश के अभी करीब 721 तीर्थ यात्री लापता हैं। उनकी क्या स्थिति है इस बारे में जानने का सभी को हक है, लेकिन इस बिन्दु को अविश्वास प्रस्ताव में शामिल नहीं किया गया। इसका कारण यह है कि कांग्रेस प्रदेशायध्क्ष कांतिलाल भूरिया और खुद नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह वहां एक भी नहीं गए। यदि इस बिंदु को शामिल किया जाता तो इस बात पर भी चर्चा होती। इसके अलावा मंत्री रहते हुए राघवजी ने दुष्कर्म किया इस मुद्दे को भी अविश्वास प्रस्ताव में चर्चा के लिये शामिल नहीं किया गया, मुझे लगता है कि इस मामले पर सेटिंग की गई है। सदन की अध्यक्षीय दीर्घा में पूर्व केदंी्रय मंत्री सुरेश पचौरी की मौजूदगी में श्री चौधरी ने यह कहकर पूरी कांग्रेस को कोमा में ला दिया कि एक ट्ïवीट पर यह कहा गया है कि बच्चा-बच्चा राम का, राघवजी के काम का। उन्होंने कहाकि यह देश की 80 प्रतिशत जनता का अपमान है, क्योंकि श्रीराम के बच्चे लव-कुश थे। मैं हिंदू हूं और मेरे आराध्य श्रीराम हैं। यह पूरी हिंदू जाति का अपमान है। मैंने आज ही इस विषय को भी अविश्वास प्रस्ताव में शामिल करने को कहा था, क्योंकि जो भी इस देश में हिंदू का अपमान करेगा, उसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगेे। इतना सुनते ही भाजपा के विधायक हंगामाकर नारेबाजी करने लगे और सदन शिवराज सिंह जिंदाबाद के नारों से गूंज उठा। तभी उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पाइंट ऑफ आर्डर लेते हुए कहा कि जिस अविश्वास प्रस्ताव पर उपनेता प्रतिपक्ष को ही विश्वास नहीं है और यह इस सदन में पहली बार हो रहा है कि विपक्ष बिखरा हुआ है तो अविश्वास प्रस्ताव का कोई औचित्य ही नहीं है। इस पर चर्चा की कोई आवश्यकता नहीं है। उनके कहते ही दोनों पक्षों ने हंगामा कर दिया। इससे अध्यक्ष ने सदन की कार्रवाई आधा घंटे के लिए स्थगित कर दी। वहीं संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना था कि नेता प्रतिपक्ष इस्तीफा दें, पहली बार इतिहास में ऐसा हुआ है कि दल के नेता के प्रति उनके ही दल के सदस्य ने अविश्वास जताया। उन्होंने यह भी कहा कि नेता प्रतिपक्ष पहले स्वयं अपने दल में विश्वास अर्जित करें इसके बाद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लायें।
आधा घंटे बाद जैसे ही सदन की कार्रवाई दोबारा शुरू हुई नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह बोलने खड़े हुए। मगर सत्तापक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए टोकाटोकी शुरू कर दी। भारी हंगामे के बीच अध्यक्ष श्री रोहाणी ने सदन की कार्रवाई अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।