मुख्यमंत्री कन्यादान और निकाह योजना का लाभ लेने वालों की संख्या एक साल में दोगुना हो जाने के बाद सरकार सामान्य वर्ग के लाभार्थियों के लिए बीपीएल और अनुसूचित जाति-जनजाति व ओबीसी को आयकरदाता का बंधन कर सकती है। सरकार योजना के नियमों में बदलाव करने जा रही है जो मंगलवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में लाए जा रहे हैं। भोपाल, इंदौर, जबलपुर व ग्वालियर शहरों की नजूल की जमीन पर स्थित कॉलोनियों को वैध करने के लिए कुछ नए प्रावधान करने पर भी मंत्रिमंडल की बैठक में विचार होगा। इसके अलावा राजनीतिक दलों और चेरीटेबल ट्रस्ट को दी जाने वाली सरकारी जमीनों के नियमों में बदलाव का प्रस्ताव भी लाया जा रहा है। कैबिनेट में 18 मुद्दे चर्चा के लिए रखे जाएंगे। इसमें सामाजिक न्याय और नि:शक्तजन कल्याण विभाग द्वारा मुख्यमंत्री कन्यादान और निकाह योजनाओं में किए जा रहे बदलाव का एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव लाया जा रहा है।

बताते हैं कि सरकार इन योजनाओं को लेकर इसलिए चिंतित है क्योंकि इसमें दी जाने वाली राशि 28 हजार रुपये को 51 हजार रुपये करने के बाद अचानक हितग्राहियों की संख्या बढ़ गई है। इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार सामान्य और आरक्षित वर्गों (एससी-एसटी व ओबीसी) के लाभार्थियों की शर्तों को कड़ा कर सकती है। इन लोगों के आधार नंबर और शादी के पूर्व सत्यापन की शर्तों को भी जोड़ा जा सकता है। इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए पूर्व में कार्यक्रम के दौरान ही पंजीयन कराने की छूट पर भी सरकार पाबंदी लगा सकती है। अब कार्यक्रम के तीन दिन पहले पंजीयन कराना जरूरी होगा, जिससे विभाग सत्यापन कर सके।

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