भोपाल। मध्यप्रदेश के रतलाम में 70 वर्षीय एक व्यापारी की संदिग्ध मौत का मामला सामने आया है। पुलिस उसे मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में उठा लाई थी। थाने में उसकी गिरफ्तारी नहीं दिखाई गई थी। बेटे का कहना है कि पुलिस को केवल एक बीयर की बोतल मिली थी। पुलिस ने उसे ना तो लॉकअप में रखा था ना ही थाने में स्टाफ के सामने बल्कि थाने के पीछे बने एक कमरे में बंद किया था। यहीं पर उसका शव मिला है। सिख व्यापारी की लाश उसी की पगड़ी से फंदा बनाकर फांसी पर लटकी हुई मिली। एसपी ने थाना प्रभारी सहित 5 पुलिस कर्मचारियों को लाइन हाजिर कर दिया है।
हादसे के बाद एसपी गौरव तिवारी, एएसपी डॉ. इंद्रजीतसिंह बाकलवार और सुनील पाटीदार, न्यायाधीश विजयसिंह चौहान और अंजय सिंह तथा एफएसएल अधिकारी अतुल मित्तल बिलपांक थाने पहुंचे। एसपी ने बताया ग्राम सुजलाना में ढाबा चलाने वाले रतलाम नाका (जावरा) निवासी अवतारसिंह पिता साहबसिंह के पास मादक पदार्थ मिला था। अफीम की शंका में थाने लाए थे। ढाबा संचालक के खिलाफ एनडीपीएस की तीन और शासकीय कार्य में बाधा का एक प्रकरण दर्ज है। जिला अस्पताल में डॉक्टर की पैनल से पोस्टमार्टम कराया। शरीर पर बाहरी चोट के निशान नहीं मिले हैं। पुलिस अभिरक्षा में संदेही की मौत पर कार्रवाई करते हुए एसपी गौरव तिवारी ने बिलपांक की प्रभारी थाना प्रभारी (परिवीक्षाधीन उप पुलिस अधीक्षक) शीला भदकारे सुराणा सहित पांच को लाइन अटैच कर दिया है। सहायक उप निरीक्षक थान सिंह चौहान, प्रधान आरक्षक संतोष अग्निहोत्री, आरक्षक लाखन सिंह, अनिल अमलियार, राजेश बक्षी भी शामिल हैं।
अवतारसिंह को थाने पर लाने के बाद रोजनामचे में जानकारी दर्ज करवाकर थाना प्रभारी प्रशिक्षु डीएसपी शीला सुराणा घर चली गईं थीं। संतरी पहरे पर आरक्षक अनिल अमलियार की ड्यूटी थी। थाना प्रभारी के जाने के बाद वह सो गया। घटनास्थल से रोजनामचा और सीसीटीवी की डीवीआर जब्त कर ली गई है। मामले की न्यायिक जांच जज विजयसिंह चौहान करेंगे।
मृतक के बेटे सुखविंदर सिंह ने बताया कि ढाबे से बीयर मिलने पर पिता को ले गए थे। एनडीपीएस का झूठा प्रकरण बनाने पुलिस ने मारपीट की इससे पिता की मौत हुई है। सुखविंदरसिंह ने बताया वे पंजाब के दलुआ जिला फतेहगढ़ साहेब के निवासी हैं। 90 में पिता ने जावरा में रतलाम नाके पर ढाबा शुरू किया था। बाद में सुखविंदर ने रिछाचांदा में और पिता अवतारसिंह ने सुजलाना में 5 साल पहले ढाबा खोला था।
29 सालों में बिलपांक थाने में पुलिस हिरासत में मौत का चौथा मामला है। 1991 में तत्कालीन थाना प्रभारी प्रदीपसिंह राणावत ने चोरी के मामले में आरोपी को गिरफ्तार किया था। जिसकी संदिग्ध मौत हुई थी। बताया था कि उसने जहर खाया है।
1994 में थाना प्रभारी एश्वर्य शास्त्री ने चोरी के मामले में आरोपी को गिरफ्तार किया था जिसका शव फांसी पर झूलता मिला था। पुलिस ने इसे आत्महत्या बताया था।
थाना प्रभारी प्रदीप सोनी ने चोरी के मामले में 17 वर्षीय जितेंद्र पिता धूलजी निनामा से पूछताछ की। मारपीट में घायल जितेंद्र को पुलिसकर्मी उसके घर छोड़ गए जिसकी 13 अगस्त 2016 को मौत हो गई थी।
29 फरवरी की रात को पुलिस हिरासत में चौथी मौत अवतारसिंह गिल की हुई।