भोपाल। सैनिकों के प्रति आम जनों में सम्मान की भावना है, लेकिन उनके परिजनों को लेकर राज्य सरकार ने बड़ा फैसला किया है। अब किसी भी सरकारी कार्यालय में सैनिकों के परिजनों को काम कराने के लिए चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। कोई भी सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी सैनिकों के परिजनों के साथ दुर्व्यवहार भी नहीं कर पाएंगे। इस संबंध में सरकार ने फरमान जारी किया है कि सरकारी कार्यालयों में आने वाले सैनिकों के परिजनों के काम तत्काल किए जाएं। साथ ही उनके साथ स्नेह और सम्मान के साथ पेश आएं।

सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी कलेक्टर, संभागायुक्त एवं सभी विभाग प्रमुखों को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए हैं। शासन ने स्पष्ट किया है कि थल सेना, नौसेना, वायु सेना एवं केंद्रीय सशस्त्र बल जैसे बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआरपीएफ आदि में तैनात जवान विषम एवं चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अपनी जान की परवाह किए बगैर देश की सुरक्षा में तत्पर रहते हैं। अपने घर-परिवार से हजारों किमी दूर जोखिम भरे इलाकों और खराब मौसम में भी देश की सुरक्षा में दिन-रात लगे रहते हैं। यह लोग साल में केवल सीमित समय के लिए घर आकर घरेलू काम-काज कर पाते हैं। बहुत से कार्य ऐसे होते हैं जो सरकारी विभागों से संबंधित होते हैं। अब सरकार ने तय किया है कि सैनिकों एवं रिटायर्ड सैनिक और उनके परिवार के सदस्यों को किसी भी सरकारी कार्यालय में जाने पर अधिकारी एवं कर्मचारी उनके साथ स्नेह और सम्मान से पेश आएं और उनके कार्यों को तत्काल करें।

मुख्यमंत्री कमलनाथ को ऐसी शिकायतें मिल रही थीं कि सैनिको के परिजनों को काम के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर सैनिकों एवं उनके परिजनों के हित में यह निर्देश जारी किए हैं। खास बात यह है कि किसी भी सरकारी कार्यालय में सैनिक और उनके परिजनों के काम में लापरवाही बरतने पर निलंबित जैसी कार्रवाई हो सकती है।

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