भोपाल। शुद्ध के लिए युद्ध मुहिम के बीच क्राइम ब्रांच ने नकली सीमेंट बनाने वाली फैक्टरी का भंडाफोड किया है। यहां अल्ट्राटेक और एसीसी जैसी नामी सीमेंट कंपनी के सभी ब्रांड की बोरियों में ये सीमेंट पैक किया जा रहा था। ये गोरखधंधा दो साल से जारी था। इस सीमेंट से ही ग्राम खजूरी राताताल के सरपंच ने गांव की आरसीसी रोड और नालियां बनवा दीं। पुलिस ने सरपंच को भी हिरासत में ले लिया है, जबकि फैक्टरी संचालक मौका पाकर भागने में कामयाब रहा। पुलिस का अंदाजा है कि इस फैक्टरी से खरीदे गए सीमेंट को और भी कई सरकारी निर्माण में इस्तेमाल किया गया होगा।

एएसपी क्राइम निश्चल झारिया के मुताबिक रविवार को मिली सूचना के बाद पुलिस ने ईटखेडी स्थित ग्राम परवाखेड़ा में दबिश दी थी। किराए के गोदाम में सैकडों बोरी सीमेंट, खाली बोरियां, डस्ट और पुराने सीमेंट के डल्ले मिले। मिलावटी सीमेंट एसीसी और अल्ट्राटेक जैसी नामी कंपनियों की बोरियों में भरा जा रहा था। टीम को यहां मजदूर तो मिल गए, लेकिन फैक्टरी मालिक कदीर भाग निकला। कदीर ने नईम नामक व्यक्ति का मकान किराए पर लिया था। क्रेशर की डस्ट मंगवाकर आधा सीमेंट और आधी डस्ट मिलाकर ये सीमेंट बनाया जा रहा था। पुरानी डल्लेवाली सीमेंट की छनाई कर उसे भी सीमेंट में मिलाया जाता था।

एएसपी ने बताया कि इस फैक्टरी से खरीदी गई सीमेंट से ग्राम खजूरी राताताल की आरसीसी रोड और नालियां तक बना दी गईं। कम दाम में मिलने के कारण ग्राम सरपंच विनय अहिरवार ने कदीर से ये सीमेंट खरीद ली। पुलिस ने विनय को भी हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। पता लगाया जा रहा है कि इस सीमेंट से और कितने सरकारी निर्माण करवाए गए हैं। पुलिस कदीर को मकान किराए पर देने वाले मकान मालिक के खिलाफ भी कार्रवाई करेगी।

यह कार्रवाई करने के लिए पुलिस ने दो अलग-अलग टीम बनाकर दबिश दी है। अरवलिया और परवाखेड़ा के गोदाम पर पुलिस ने छापा मारा। पुलिस ने यहां से नकली सीमेंट के साथ-साथ, डल्लेवाले सीमेंट पीसने की मशीन, डस्ट, इलेक्ट्रॉनिक कांटा और क्रेशर की डस्ट भी जब्त की है। पुलिस फैक्टरी में काम करने वाले मजदूरों से भी पूछताछ कर रही है।

पुलिस के मुताबिक आरोपी कदीर का साला इमरान इस गोरखधंधे में पूरा साथ देता था। सहयोगी और फैक्टरी में काम करने वाले श्याम गिर व गोदाम में काम करने वाले चौन सिंह को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। इन सभी से पूछताछ की जा रही है। पुलिस को अंदाजा है कि आरोपी अब तक हजारों बोरी नकली सीमेंट बाजार में खपा चुका होगा। साथ ही इस सीमेंट से और भी कई सरकारी निर्माण करवाए गए होंगे।

स्ट्रक्चर इंजीनियर डॉ. शैलेंद्र बागरे ने बताया कि खराब हो चुकी सीमेंट को क्रेशर से बारीक करके बोरी में भरा जाए या सीमेंट की बोरी में मिट्टी मिलाई जाए, दोनों ही स्थितियों में यह मिट्टी के ही समान है। पुराने समय में मिट्टी से बने मकान में स्ट्रेंथ के लिए दीवारों की मोटाई अधिक रखी जाती थी। लेकिन जब आप सीमेंट के नाम पर मिट्टी का उपयोग करेंगे और ईंट की दीवार बनाएंगे तो यह कब गिर जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। छत पर ऐसी सीमेंट का उपयोग और भी खतरनाक है। सीमेंट को कलर से पहचानना मुश्किल है। सबसे अच्छा तरीका है कि बैग खोल कर हाथ डालने पर हीट का अनुभव होगा। सीमेंट का मसाला बनाने पर आधे घंटे में सेटिंग शुरू हो जाती है। यदि ऐसा न हो तो सीमेंट नकली है।

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