सीहोर। मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के आष्टा में प्राचीन शंकर मंदिर से एसडीएम द्वारा लाउडस्पीकर हटाए जाने के आदेश के बाद विरोध शुरू हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी आलोचना की है। शिवराज ने ट्वीट करके कमलनाथ सरकार के आदेश को शर्मनाक और तुष्टीकरण करने वाला बताया। उन्होंने कहा-कोलाहल नियंत्रण के नाम पर मंदिर से लाउडस्पीकर हटाने का जो आदेश जारी हुआ है, क्या रात्रि 10 से सुबह 6 बजे के बीच दूसरे धार्मिक स्थलों पर भी यह लागू करवा पाएंगे? प्रदेश के मुखिया की दृष्टि में तो सभी धर्म समान होने चाहिए या नहीं? सोमवार को आष्टा की एसडीएम ने कोलाहल नियंत्रण अधिनियम का हवाला देकर मंदिर से लाउडस्पीकर हटाने का आदेश दिया था।

इधर, मंगलवार को आष्टा में भाजपा और हिंदू उत्सव समिति ने आदेश के विरोध में जुलूस निकाला और तहसील कार्यालय पहुंचकर नारेबाजी की। यहां पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर चेताया है कि आदेश वापस नहीं लिया गया तो अनिश्चितकालीन आष्टा बंद किया जाएगा।

एसडीएम अंजू विश्वकर्मा ने शंकर मंदिर समिति के सदस्यों को सोमवार को अपने कार्यालय में बुलाया और कहा था कि आप लोग तत्काल मंदिर में बजने वाले लाउडस्पीकर को बंद कर दें। अगर लाउडस्पीकर बजाया तो आपके और पुजारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एसडीएम ने कहा था कि कोलाहल नियंत्रण अधिनियम के तहत रात 10 से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर बजाने पर प्रतिबंध है। सुप्रीम कोर्ट भी इस संबंध में आदेश जारी कर चुका है।
मंदिर समिति के सदस्यों की मानें तो उन्होंने भी एसडीएम के समक्ष दूसरे धर्म का हवाला दिया और कहा था कि वहां भी 5 बार लाउडस्पीकर बजाया जाता है। स्थानीय शंकर मंदिर के पुजारी हेमंत गिरी ने मांग की है कि धार्मिक परंपराओं और आरती आदि में व्यवधान पैदा न किया जाए।

एसडीएम अंजू विश्वकर्मा ने शंकर मंदिर समिति के सदस्यों को सोमवार को अपने कार्यालय पर बुलाकर कहा था कि आप लोग तत्काल मंदिर में बजने वाले लाउडस्पीकर को बंद कर दें। अगर लाउडस्पीकर बजाया तो आपके और पुजारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एसडीएम ने कहा था कि कोलाहल नियंत्रण अधिनियम के तहत रात 10 से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर बजाने पर प्रतिबंध सुप्रीम कोर्ट का नियम है। मंदिर समिति के सदस्यों ने दूसरे धर्म का हवाला दिया था और कहा था कि वहां भी तो 5 बार लाउडस्पीकर बजाया जाता है। स्थानीय शंकर मंदिर के पुजारी हेमंत गिरी ने मांग की है कि धार्मिक परंपराओं और आरती आदि में व्यवधान पैदा न किया जाए।

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