ग्वालियर। दुनिया में जितने भी पाप होते हैं वह सब सोये हुए लोगों द्वारा किए जाते हैं। क्योकि जागा हुआ व्यक्ति कभी पाप नहीं कर सकता है। क्या व्यक्ति होश में किसी को गाली दे सकता है, शराब पी सकता है, अपराध कर सकता है। नहीं, बिलकुल नहीं कर सकता है। क्योंकि यह सभी कार्य बेहोश लोगों द्वारा किए जाते हैं। होश में व्यक्ति केवल अच्छे कर्म और महावीर भगवान की साधना कर सकता है। क्योंकि महावीर की साधना होश की साधना है। जीवन एक भव्य जागरण है, जिन्होंने भी पाया इसे जागकर ही पाया है। यह बात अंतर्मना आचार्य प्रसन्न सागर महाराज ने चंपाबाग बगीची में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।

आचार्य प्रसन्न सागर महाराज ने कहा कि गृहस्थ जीवन कठिन है, संसारी जीवन सब कुछ होने के बाद भी अशांत, दुखी रहता है। क्योंकि उसके पास ज्ञान की गति व दिशा नहीं है। वह जोड़ने में लगा रहता है, जितना है उतने में खुश नहीं रह पाता है। हर संसारी व्यक्ति संत नहीं बन सकता है। लेकिन वह प्रतिदिन, सप्ताह अथवा महीने में एक व्रत , संयम का संकल्प ले तो वह धीरे-धीरे आगे बढ़ सकता है। मरने से पहले व्यक्ति को जीवन में तीन कार्य करने चाहिए। पहला किसी मंदिर में विधान पूजन कराना। दूसरा एक बार उपवास अवश्य करना। तीसरा किसी साधु, संत को एक बार पिच्छी दान करना। प्रवचन से पूर्व आचार्य के चरणों में ज्योतिषाचार्य एचसी जैन ने अर्ध्य अर्पित किए। इस अवसर पर ओमप्रकाश जैन, प्रियांक जैन, मिठ्ठू सेठी, विमल, पूजा जैन आदि उपस्थित थे।

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