भोपाल। मध्यप्रदेश के शहडोल जिला अस्पताल में शिशु गहन चिकित्सा इकाई में देर रात 4 बच्चों की मौत हो गई। एसएनसीयू इंचार्ज डॉ सुनील हथगेल का कहना है कि बच्चे इतने सीरियस आए थे कि उनको बचाना मुश्किल था। फिर भी हमने और हमारे स्टाफ ने काफी कोशिश की इसके बाद भी उनकी जान नहीं बच पाई। वहीं बच्चा वार्ड में भी दो बच्चों की निमोनिया से मौत होने की बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि इन सभी बच्चों को निमोनिया था। 12 घंटे के अंदर 6 बच्चों की मौत के मामले में अस्पताल प्रबंधन अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है।
शहडोल के जिला अस्पताल में 6 बच्चों की मौत के मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तुरंत इसे संज्ञान में लिया और स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट को इस मामले को तुरंत देखने को कहा। इसके बाद मंत्री तुलसी सिलावट ने अधिकारियों की बैठक ली और बच्चों की मौत की तुरंत जांच के आदेश दिए। जो भी कोई इस मामले में दोषी पाया जाएगा, उस पर आज ही कार्रवाई हो सकती है।
अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में मध्यप्रदेश में स्थिति बहुत खराब है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2018-19 में यहां 31944 शिशुओं की मौत हुई है। सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें से ज्यादातर मौतों की वजह निमोनिया, डायरिया, संक्रमण, कुपोषण हैं। थोड़ी सी सजगता से इन बच्चों की जान बचाई जा सकती है।
मध्यप्रदेश के सतना जिले के सभापुर थाना अंतर्गत नयागांव पंचायत के कोनैता आंगनबाडी केंद्र में पेंटावैलेंट के टीकाकरण के 48 घंटे बाद 7 में से 2 मासूमों की मौत हो गई। कलेक्टर-एसपी व स्वास्थ्य विभाग की टीम सभापुर पहुंचकर मामले की छानबीन में जुट गई है। दोनों मासूमों की प्रारंभिक पीएम रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि मासूमों की मौत टीकाकरण से नहीं बल्कि सांस की नली में दूध के थक्के जमने से हुई है। कलेक्टर ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। पीड़ित स्वजन का आरोप है कि दोनों बच्चों की मौत टीकाकरण से हुई है। सीएमएचओ ने संबंधित के खिलाफ सभापुर थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी है