ग्वालियर। शहर में ट्रैफिक के बढ़ते दबाव को कम करने के लिए परिवहन विभाग पुराने नैरोगेज ट्रैक पर कोलकाता की तर्ज पर ट्राम चलाने का प्लान तैयार कर रहा है। इसके लिए परिवहन विभाग ऐसे रूट की तलाश कर रहा है, जहां सिंधिया रियासत के समय नैरोगेज शहर के अंदर चलती थी। इसका संचालन पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर करने का प्रस्ताव बन रहा है। परिवहन विभाग अभी रूट प्लान बना रहा है।
आरटीओ एमपी सिंह 31 मार्च तक ट्राम का रूट प्लान तैयार कर कलेक्टर को सौपेंगे। साथ ही इस रिपोर्ट में वे यह भी बताएंगे कि जिस तरह शहर का विस्तार हो रहा है और आने वाले सालों में नैरोगेज ट्रेन बंद हो जाएगी, जिसके वर्तमान ट्रैक और पुराने रूट को फिर से विकसित कर शहर में ट्राम चलाकर सिटी ट्रांसपोर्ट कैसे बेहतर कर सकते हैं। आरटीओ एमपी सिंह ने बताया कि हम वर्तमान और पुराने नैरोगेज ट्रैक पर ट्राम चलाने का प्लान बना रहे हैं।
पुराने नैरोगेज ट्रैक के मुताबिक, रेलवे स्टेशन से रेसकोर्स रोड, गोला का मंदिर, मुरार, हजीरा, एबी रोड, पुरानी छावनी, कंपू, बहोड़ापुर और मोतीझील के साथ शहर के विस्तारित क्षेत्र में इलेक्ट्रिक ट्राम की लाइन सड़क के साथ आगे बढ़ाई जा सकती है। सिंधिया रियासत के समय नैरोगेज ट्रेन शहर के कई क्षेत्रों से होते हुए गुजरती थी। लेकिन अब यह ट्रैक गायब हो चुका है। जानकारों का कहना है कि ट्राम के लिए शहर में 9.5 किमी का नैरोगेज ट्रेन अभी मौजूद है। इससे उपनगर ग्वालियर के लगभग तीन लाख लोगों को फायदा मिलेगा। यदि पूरे शहर को जोड़ते हुए नया ट्रैक विकसित किया जाता है तो शहर की लगभग 12 लाख आबादी को लाभ मिलेगा।