ग्वालियर। मप्र हाई कोर्ट ग्वालियर खंडपीठ की युगल पीठ से सोमवार को नर्सिंग कॉलेजों को राहत नहीं मिल सकी। कोर्ट ने उन कॉलेजों के छात्रों को जीएनएम नर्सिंग की परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी, जिनके पास मान्यता नहीं है। कोर्ट ने स्थिति स्पष्ट करने के लिए 20 जनवरी को मप्र नर्सिंग काउंसिल के सचिव को तलब किया है। उन्हें मान्यता किस आधार पर खत्म की गई है, यह स्पष्ट करना होगा।

सात जनवरी से जीएनएम (जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी) की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। इन परीक्षाओं में अंचल के करीब 41 नर्सिंग कॉलेजों के छात्रों को नहीं बिठाया जा रहा है। छात्रों को परीक्षा में बिठाने के लिए 41 कॉलेज संचालकों ने अलग-अलग याचिका हाई कोर्ट में दायर की। विंटर वेकेशन के दौरान इन याचिकाओं को सुना गया था। नर्सिंग काउंसिल ने जवाब पेश करने के लिए समय ले लिया था। अब काउंसिल का जवाब आ गया।

कॉलेज संचालकों की ओर से हाई कोर्ट में तर्क दिया गया कि वे कॉलेज संचालन के सभी नियमों का पालन कर रहे हैं। छात्रों ने उनके यहां पढ़ाई की है। अगर उन्हें परीक्षा में नहीं बिठाया गया तो भविष्य प्रभावित होगा, इसलिए परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए।

नर्सिंग काउंसिल के अधिवक्ता विवेक खेड़कर ने तर्क दिया कि नर्सिंग कॉलेज के संचालन के लिए वर्ष 2017-18 में नियम बदले गए हैं। सरकारी कॉलेजों के बैड के आधार पर मान्यता लेते थे, इस नियम में बदलाव किया है। जीआर मेडिकल कॉलेज से पत्र जाने के बाद डीएमई कॉलेजों को बैड अलॉटमेंट करते हैं। इन कॉलेजों के पास 100 बेड का अस्पताल नहीं है। ये कॉलेज संचालन के अन्य नियमों का भी पालन नहीं कर रहे हैं। फरवरी 2019 में कॉलेजों की मान्यता समाप्त कर दी थी। इन कॉलेजों को मान्यता नहीं है, इस वजह से छात्रों को परीक्षा में नहीं बिठाया जा सकता है।

कॉलेजों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरडी जैन व संगम जैन का तर्क सुनने के बाद मप्र नर्सिंग काउंसिल के सचिव को व्यक्तिगत रूप से तलब कर पूरी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। कोर्ट ने परीक्षा में बिठाने की अनुमति नहीं दी है। ज्ञात हो कि इन 41 कॉलेजों में करीब 2000 छात्र अध्यनरत हैं, जिन्हें कॉलेज परीक्षा दिलाना चाहते हैं।

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