रतलाम। मध्यप्रदेश के रतलाम के फोरलेन पर घटला ब्रिज के पास रविवार रात 2 बजे आमने-सामने टक्कर से बाद दोनों ट्रकों में आग लग गई। आइशर के कैबिन में फंसे खरगोन के तीन युवक जलकर मर गए। कैबिन में ड्राइवर के पीछे सो रहे वृद्ध ने खिडकी से कूदकर जान बचाई।
मध्यप्रदेश के खरगोन से राजस्थान के अजमेर जा रहे मिर्ची से भरा बेकाबू ट्रक रोड डिवाइडर से दूसरी लेन पर आया और सामने से आ रहे मार्बल के ट्रक से टकराने के बाद दोनों ट्रकों में आग लग गई। मृतकों में शामिल मिर्ची व्यापारी युवक खरगोन जिले की फुटबॉल टीम के खिलाडी थे। चार साल पहले वे मध्यप्रदेश टीम का प्रतिनिधित्व किया था। जलती मिर्ची की धूनी के कारण आग बुझाने में परेशानी हुई। रतलाम, नामली और इप्का फैक्टरी की फायर ब्रिगेड ने 6 लारी पानी की मदद से ढाई घंटे में आग पर काबू पाया। दुर्घटना के बाद मार्बल से भरे दूसरे ट्रक का ड्राइवर भाग गया।
मिर्ची व्यापारी असलम पिता मकबूल शेख बागवान (24) निवासी मियामन मोहल्ला खरगोन रविवार रात करीब 9.30 बजे आइशर में मिर्ची भरकर धुधवाडा (खरगोन) निवासी 50 वर्षीय श्रमिक मुर्तुजा पिता गुलाम मुस्तफा खान के साथ खरगोन से अजमेर के लिए रवाना हुए। ड्राइवर रमेश पिता पातलिया मंडलोई (26) निवासी धूपी (खरगोन) और विष्णु पिता मथुरालाल भास्करे (35) निवासी धुंधवाड़ा (खरगोन) साथ थे। रात 2 बजे घटला ब्रिज से पहले आइशर डिवाइडर के ऊपर होते हुए दूसरी लेन पर आ गया और मारबल से भरे ट्रक से टकरा गया।
प्रत्यक्षदर्शी की जुबानी रू ट्रक से कूदने के बाद लगी आग, दबे होने से तीनों ट्रक में ही जल गए
हम रात 9 बजे खरगोन से मिनी ट्रक (एमपी10एच-0727) में लाल मिर्च भरकर ड्राइवर विष्णु मथुरालाल भास्करे (32) निवासी दोदवाड़ा भीकनगांव के साथ राजस्थान की अजमेर मंडी रवाना हुए। मेरे पास मिर्च व्यापारी असलम पिता मकबूल (23) निवासी कुम्हारवाडा व खिडकी के पास क्लीनर रमेश जमरे (35) निवासी धूपी बैठे थे। बातचीत करते धार तक पहुंचे। यहां चाय-नाश्ता किया। वाहन में गाने सुनते इसके बाद आगे बडे। मुझे नींद लग गई। रात 2 बजे इंदौर-रतलाम रोड पर अचानक जोर की आवाज आई। आंख खुली तो सामने ट्रक था। हमारे ट्रक का कांच फूटा था। हम सभी दब चुके थे। मैं धीरे से फूटे कांच में से बाहर कूदा और बचाने के लिए चिल्लाने लगा।
उसके बाद ट्रक में आग लग गई। आसपास के लोग इकट्ठा हो गए। आग की लपटे बढ़ने से सब लोग वाहन से करीब नहीं जा पाए। असलम, विष्णु व रमेश जिंदा जल गए। मुझे लोगों ने एक तरफ बैठाया। ओढने के लिए कंबल दिया। इसके बाद पुलिस आई। उन्होंने कहा अब हम देख लेंगे। आप यहां बैठे रहे। इसके बाद वाहन मालिक व परिजनों को सूचना दी गई।
असलम के साथी सिद्धिक ने बताया कि सात माह पहले नीमच में शादी हुई। वह फुटबॉल का अच्छा खिलाडी था। तीन साल से मिर्च कारोबार कर रहा था। 8-10 दिन में 4-5 पोटली मिर्च इकट्ठा कर किसी वाहन में भरकर अजमेर व अन्य जगह ले जा रहा था। अन्य व्यापारियों की मिर्च बेचने में मदद कर रहा था। उसे 300-500 रुपए रोज मिल जाते थे। वह अकेला परिवार चला रहा था।
बिस्टान निवासी ट्रांसपोर्ट कारोबारी संजय राठौड़ ने बताया रमेश बस व ट्रक पर क्लीनरी करता था। वह तीन-चार साल से हमारे यहां काम कर रहा था। चार माह पहले ही काम छोडने के बाद वापस काम शुरू किया था। वह शादीशुदा है। उसके तीन बच्चे हैं।
विष्णु पिता मथुरालाल (32) पिछले 12 साल से बस ड्राइवर था। वह खरगोन-झिरन्या की यात्री बस चलाकर परिवार चला रहा था। रविवार को छुट्टी थी। वह बिस्टान गया तो शाम को फोन किया कि ट्रक पर राजस्थान जा रहा हूं। विष्णु की पत्नी मनीषा के अलावा आठ साल का बेटा रोहित, पांच साल की बेटी आरती व डेढ साल की बेटी वैष्णवी है।